भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक घरेलू स्तर पर प्रणाली के हिसाब से महत्त्वपूर्ण बैंक (डी-एसआईबी) या संस्थान बने हुए हैं। ये संस्थान इतने महत्त्वपूर्ण हैं कि इनकी विफलता का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ेगा।
निजी क्षेत्र के ऋणदाता आईआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक बकेट 1 और एसबीआई बकेट 3 के तहत आते हैं। घरेलू स्तर पर प्रणाली के हिसाब से महत्त्वपूर्ण बैंकों का मौजूदा वर्गीकरण 31 मार्च, 2021 को बैंकों से जुटाए गए आंकड़ों पर आधारित है। बकेट 1 के तहत बैंकों को अतिरिक्त साझा इक्विटी टीयर 1 पूंजी का 0.2 फीसदी जोखिम भारित संपत्तियों (आरडब्ल्यूए) के प्रतिशत के तौर चाहिए होता है और बकेट 3 के तहत बैंकों को अतिरिक्त साझा इक्विटी टीयर 1 पूंजी का 0.6 फीसदी आरडब्ल्यूए के प्रतिशत के तौर चाहिए होता है।
एसआईबी के अंतर्गत आने वाले बैंकों को महत्त्वपूर्ण माना जाता है और ये इतने अहम होते हैं कि इनके विफल होने पर देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ सकता है। इस विचार के आधार पर इन बैंकों के लिए संकट के समय सरकार से समर्थन की उम्मीद होती है।
पिछले वर्ष भी इन तीन बैंकों की घरेलू स्तर पर प्रणाली के हिसाब से महत्त्वपूर्ण बैंक के तौर पर पहचान की गई थी और इस साल की तरह ही समान बकेट में रखे गए थे। इससे पहले 2015 और 2016 में रिजर्व बैंक ने एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी के तौर पर चिह्नित किया था। मार्च, 2017 की स्थिति के अनुसार, बैंकों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर एचडीएफसी बैंक को भी एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक के साथ डी-एसआईबी की श्रेणी में शामिल किया गया।