वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 3 सितंबर को वित्तीय क्षेत्र के साथ बैठक कर कर्ज के पुनर्गठन की योजना की तैयारियों का जायजा लेंगी। यह योजना कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित कर्ज लेने वालों को राहत देने के लिए लाई गई है।
मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री अनूसूचित वाणिज्यिक बैंकों व एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) शीर्ष प्रबंधन के साथ बैठक कर कोविड के कारण दबाव में आए बैंक कर्ज के समाधान ढांचे को लागू किए जाने के मामले में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगी। वह उन मसलों पर बात करेंगी, जिन्हें ठीक करके इस योजना को त्वरित और सहज तरीके से लागू किया जा सके।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त को हर तरह के कर्ज लेने वालों के लिए कर्ज पुनर्गठन योजना की घोषणा की थी, जिनमें कॉर्पोरेट, सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यम और व्यक्तिगत ऋण क्षेत्र शामिल हैं।
गैर एमएसएमई खाताधारकों के लिए इस तरह के पुनर्गठन की मांग 31 दिसंबर तक की जा सकती है, जिसमें उधारी लेने वाले ने 1 मार्च से 30 दिन से ज्यादा की चूक नहीं की हो। बैंकों को प्रस्ताव पर सहमति के 180 दिन मेंं समाधान ढांचा लागू करना होगा।
एमएसएमई के लिए रिजर्व बैंक ने सभी 3 तरह की दबाव वाली संपत्तियों के पुनर्गठन की अनुमति दी है, जिनका कर्ज 25 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं है। वहीं एमएसएमई सहित अनन्य के लिए, जिनका कर्ज 25 करोड़ रुपये से ज्यादा है, पुनर्गठन विंडो उपलब्ध नहीं होगी, अगर वे एसएमए-1 या एसएमए-2 की श्रेणी के तहत आते हैं।