कंज्यूमर यूनिटी ऐंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स) की ओर से देश भर में कराए गए एक सर्वे में 82 प्रतिशत ग्राहकों ने कहा है कि हर कार्ड आधारित ऑनलाइन भुगतान में कार्ड का पूरा ब्योरा फिर से डालना बहुत ज्यादा असुविधाजनक है। सर्वे में यह भी पाया गया है कि अगर उन्हें अपने कार्ड के सभी ब्योरे फिर से डालने के लिए बाध्य होना पड़ता है तो इससे कुछ जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। इसमें कार्ड का गलत ब्योरा डालने पर लेन-देन असफल होना (44 प्रतिशत) और सार्वजनिक रूप से भुगतान करने पर कार्ड का गोपनीय ब्योरा किसी तीसरे व्यक्ति को जाना (42 प्रतिशत) शामिल है।
इस सर्वे में 1100 लोग शामिल हुए। इससे यह भी पता चलता है कि इस तरह की चुनौतियों और जोखिम के कारण 28 प्रतिशत ग्राहक कैश ऑन डिलिवरी पसंद करते हैं, जहां यह सुविधा लागू हो। भारतीय रिजर्व बैंक के 7 सितंबर के एक सर्कुलर ‘कार्ड ट््रांजैक्शन : परमिटिंग कार्ड ऑन फाइल टोकनिज्म (कोफ्ट) सर्विसेज’ में 1 जनवरी से मर्चेंट्स को ग्राहकों के कार्ड का ब्योरा रखने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें व्यापारियों को इस तिथि तक कार्ड का ब्योरा हटाने का वक्त दिया गया है, जो उनके पास मौजूद है।
सर्वे में यह भी पाया गया है कि ग्राहक उन मर्चेंट्स के पास अपने कार्ड का ब्योरा सुरक्षित करते हैं, जहां वे अक्सर खरीदारी करते हैं। इसमें आगे कहा गया है कि ग्राहक अपने कार्ड के ब्योरे को भंडारित किए जाने के जोखिम से वाकिफ हैं।
बहरहाल 57 प्रतिशत ग्राहकों का दावा है कि कार्ड आधारित ऑनलाइन भुगतानों में हिस्सेदारों पर भरोसा होता है और जोखिम के बावजूद वे अपने कार्ड का ऑनलाइन ब्योरा सुरक्षित करते हैं। कार्ड का ब्योरा सुरक्षित करने की और प्रमुख वजहों में सुविधा (58 प्रतिशत) व कैश बैक और रिवार्ड के रूप में लाभ (57 प्रतिशत) शामिल है।
इससे ऑनलाइन भुगतान में कार्ड का ब्योरा सुरक्षित करने को लेकर ग्राहकों की तरजीह का पता चलता है।