भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दबाव परीक्षण (स्ट्रेस टेस्ट) के परिणामों से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है और अगर हिस्सेदार आगे बैंक में पूंजी नहीं डालते हैं, तब भी बैंक व्यापक आर्थिक झटकों को झेलने में सक्षम हैं।
कोई भी एससीबी अगले एक साल में 9 प्रतिशत की न्यूनतम पूंजी जरूरत के आंकड़े का उल्लंघन नहीं करेगा। अगर कोई गंभीर दबाव की स्थित आती भी है तो सभी बैंक 5.5 प्रतिशत न्यूनतम नियामकीय कॉमन इक्विटी टियर-1 (सीईटी-1) अनुपात पूरा करने में सक्षम रहेंगे।
सकल एनपीए की स्थिति तभी तेजी से खराब होगी, जब गंभीर दबाव की स्थिति बनेगी। वहीं बुनियादी अनुमान से पता चलता है कि अगले साल भर के दौरान संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार होगा।