एक अप्रैल से भले ही किसी भी किसी भी बैंक के एटीएम से बिना ट्रांजैक्शन शुल्क दिए ही पैसे निकालने की व्यवस्था शुरू हो गई हो, लेकिन ग्राहकों के लिए मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं।
दरअसल, ग्राहक अगर पैसे निकालने के लिए किसी दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कई बार उनका लेन-देन नहीं हो पा रहा है लेकिन जब वह अपने बैंक के एटीएम का इस्तेमाल कर रहे हैं तब इस तरह की दिक्कत नहीं आ रही है। इस लिहाज से ग्राहक अभी तक पूरे तौर पर इस सुविधा का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।
भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारी भी इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि ग्राहकों के सामने इस तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं। देश भर में मौजूद 40,000 एटीएम मशीनों में से 17,000 एटीएम इन दोनों बैंकों के ही हैं। इन बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि थर्ड पार्टी ट्रांजैक्शन में अभी दिक्कतें आ रही हैं।
इन अधिकारियों का कहना है कि जिस नैशनल फाइनैंशियल स्विच (एनएफएस) तकनीक के जरिये ग्राहक किसी दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालते हैं, उस पर ज्यादा लोड पड़ रहा है, जिस वजह से ट्रांजैक्शन में दिक्कतें आ रही हैं।
दूसरी ओर अपने खुद के बैंक एटीएम से ग्राहकों को इस तरह की दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ रही हैं। एसबीआई के अधिकारी का कहना है, ‘पिछले दो दिनों में एटीएम पर ट्रैफिक बढ़ा है। इससे एनएफएस सही ढंग से काम नहीं कर पा रहा है।’
आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता का कहना है, ‘अपने ग्राहकों को हम दूसरी तकनीक से सेवाएं मुहैया कराते हैं और कुछ सैटेलाइट की दिक्कतें भी थर्र्ड पार्टी ट्राजैक्शन में आ सकती हैं।’
एचडीएफसी के प्रवक्ता का कहना है कि उनके एटीएम टर्मिनलों पर कोई फर्क नहीं पड़ा है और उन पर ग्राहकों की बहुत ज्यादा आवाजाही भी नहीं बढ़ी है। ग्राहकों के सामने आ रही इस दिक्कत के मामले में बैंकर आरबीआई को भी कुछ हद तक दोष दे रहे हैं।
राहत मिली, मगर पूरी नहीं
दूसरे बैंक के एटीएम से पैसे निकालने में आ रही है दिक्कतें
अपने बैंक से आसानी से निकल रहे हैं पैसे
बैंकों ने कहा, ट्रैफिक बढ़ने और तकनीकी समस्या के कारण आ रही है दिक्कत