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फरवरी में WPI महंगाई 2.38% पर पहुंची, मैन्युफैक्चरिंग और फ्यूल कॉस्ट में बढ़ोतरी बनी वजह

फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स का इंडेक्स 0.42% बढ़ा, जिसमें फूड प्रोडक्ट्स, बेसिक मेटल्स, नॉन-मेटैलिक मिनरल प्रोडक्ट्स और केमिकल्स के दामों में बढ़ोतरी देखी गई।

Last Updated- March 17, 2025 | 1:03 PM IST
WPI September
WPI Inflation: जनवरी 2025 में WPI महंगाई दर 2.31% थी, जो फरवरी में बढ़कर 2.38% हो गई।

WPI Inflation: भारत में होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) आधारित महंगाई फरवरी 2025 में बढ़कर 2.38% हो गई। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस बढ़ोतरी की वजह ईंधन और पावर की कीमतों में इजाफा और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लागत बढ़ना रहा।

जनवरी 2025 में WPI महंगाई दर 2.31% थी, जो फरवरी में बढ़कर 2.38% हो गई। फरवरी में फ्यूल और पावर इंडेक्स 2.12% बढ़कर 153.8 (प्रोविजनल) पर पहुंच गया, जो जनवरी में 150.6 (प्रोविजनल) था। इस वृद्धि में मुख्य रूप से बिजली की कीमतों में 4.28% की बढ़ोतरी और मिनरल ऑयल की कीमतों में 1.87% की बढ़त का योगदान रहा।

फरवरी में मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स का इंडेक्स 0.42% बढ़ा, जिसमें फूड प्रोडक्ट्स, बेसिक मेटल्स, नॉन-मेटैलिक मिनरल प्रोडक्ट्स और केमिकल्स के दामों में बढ़ोतरी देखी गई।

हालांकि, WPI फूड इंडेक्स, जिसमें फूड आर्टिकल्स और मैन्युफैक्चरिंग फूड प्रोडक्ट्स शामिल हैं, जनवरी में 7.47% से घटकर फरवरी में 5.94% पर आ गया। इससे कुल महंगाई में आई बढ़ोतरी को आंशिक रूप से संतुलित किया गया। महीने-दर-महीने WPI में 0.06% की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई।

रिटेल महंगाई 4% के नीचे, फरवरी में CPI घटकर 3.61%

भारत की खुदरा महंगाई (CPI) फरवरी 2025 में घटकर 3.61% पर आ गई है। यह पिछले छह महीनों में पहली बार है जब यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 4% के टारगेट से नीचे आई है। महंगाई में यह गिरावट खासतौर पर फूड प्राइसेज में तेज कमी के चलते हुई है। फरवरी में फूड इंफ्लेशन घटकर 3.75% पर आ गया, जबकि जनवरी में यह 5.97% था।

वहीं, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में जनवरी 2025 में 5% की ग्रोथ दर्ज की गई, जो दिसंबर 2024 में 3.2% थी। मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर में मजबूत प्रदर्शन से यह ग्रोथ देखने को मिली।

बता दें कि WPI और CPI, दोनों महंगाई को मापते हैं, लेकिन इनकी गणना अलग तरीके से होती है। WPI होलसेल लेवल पर प्राइस चेंज को ट्रैक करता है और इसमें मुख्य रूप से मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स, फ्यूल और प्राइमरी आर्टिकल्स शामिल होते हैं, जबकि CPI रिटेल लेवल पर प्राइसेज को मापता है और इसमें फूड, हाउसिंग, एजुकेशन और हेल्थकेयर जैसी सेवाएं शामिल होती हैं।

RBI MPC में फिर हो सकता है रेट कट, अप्रैल की बैठक पर रहेगी नजर

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 7 से 9 अप्रैल 2025 के बीच होगी। फरवरी में हुई पिछली MPC बैठक में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जिससे यह 6.5% से घटकर 6.25% पर आ गया था। यह लगभग पांच सालों में पहली बार था जब RBI ने ब्याज दरों में कटौती की थी, जिसका मकसद आर्थिक विकास को समर्थन देना था।

First Published - March 17, 2025 | 1:03 PM IST

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