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विश्व बैंक ने आज कहा कि वित्त वर्ष 24 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहेगी, जो वित्त वर्ष 23 में 6.9 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से कम है। विश्व बैंक ने कहा है कि एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था पर संभावित वैश्विक मंदी का सीमित असर रहेगा।
बैंक ने अपने ‘ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स’ में कहा है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि घटकर 3 दशक के तीसरे निचले स्तर पर पहुंच सकती है। विश्व बैंक ने आगाह किया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आने के ‘खतरनाक रूप से करीब’ है। इसने चेतावनी दी है, ‘आने वाले समय में सख्त मौद्रिक नीति के बावजूद उच्च महंगाई दर, वित्तीय दबाव, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के कमजोर रहने या भूराजनीतिक तनाव बढ़ने जैसे नकारात्मक झटके लग सकते हैं। इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा सकती है। ऐसा करीब 80 साल में पहली बार होगा, जब एक ही दशक में दो बार वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में जाएगी।’
2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं यूरो क्षेत्र और अमेरिका की वृद्धि दर इस साल के दौरान शून्य और 0.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चीन की वृद्धि दर 2023 में 4.3 प्रतिशत रहने की संभावना है, जहां महामारी के प्रतिबंध खत्म होने के कारण उपभोक्ताओं का व्यय बढ़ेगा। 2022 में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो महामारी के वर्ष 2020 को छोड़ दें तो 1970 के मध्य के बाद चीन की सबसे सुस्त वृद्धि दर है।
भारत के बारे में विश्व बैंक ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती अनिश्चितता का निर्यात और निवेश में वृद्धि पर असर पड़ेगा। इसमें कहा गया है, ‘सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने के साथ कारोबार को सुविधा देने के कदम उठाए हैं। बहरहाल निजी निवेश और विनिर्माण क्षमता में बढ़ोतरी की भूमिका अहम है। वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि सुस्त रहकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 7 बड़े ईएमडीई (उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं) में भारत सबसे तेज बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रह सकता है।’
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बहरहाल ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बढ़ते वैश्विक व्यवधानों की वजह से भारत की वृद्धि दर वित्त वर्ष 24 में 6 प्रतिशत या 6 प्रतिशत के नीचे रहेगी।