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₹20 लाख की कारें धड़ाधड़ बिक रही हैं… भारतीय कर रहे धुआंधार खरीदारी, क्या है वजह?

त्योहारी मांग, GST कटौती और बढ़ती आय ने भारतीय बाजार में खरीदारी का ऐसा उछाल ला दिया है कि कारों से लेकर ई-कॉमर्स तक हर जगह रिकॉर्ड टूट रहे हैं।

Last Updated- November 18, 2025 | 12:27 PM IST
Indian economy
Representational Image

भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों अच्छी रफ्तार से आगे बढ़ रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह है – घरों में बढ़ती खरीदारी, कंपनियों का ज्यादा निवेश करना और गांवों में फिर से बढ़ रही मांग। त्योहारों के समय बाजारों में खूब रौनक दिखी, जिससे कारोबार और तेज हुआ। सेवाओं और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही, GST की दरें कम होने से लोगों को चीजें थोड़ी सस्ती मिलीं, जिससे वे ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। इसी वजह से उपभोक्ता खर्च में साफ तौर पर बढ़ोतरी दिखाई दे रही है।

SBI सिक्योरिटीज की ताजा रिपोर्ट कहती है कि देश की आर्थिक तेजी सिर्फ महसूस नहीं हो रही, बल्कि आंकड़ों में भी साफ दिख रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के 50 बड़े संकेतकों में से 83% ने इस साल की दूसरी तिमाही (Q2FY26) में बढ़त दिखाई है, जबकि पहली तिमाही में यह आंकड़ा 70% था।

इन संकेतों के आधार पर अनुमान है कि Q2FY26 में देश की GDP ग्रोथ करीब 7.5% से 8% के बीच रह सकती है। रिपोर्ट का कहना है कि निवेश बढ़ रहा है, लोगों की खरीदारी भी बढ़ रही है, इसलिए आगे आने वाले महीनों में भी ग्रोथ की यह रफ्तार बनी रह सकती है।

GST कलेक्शन 2 लाख करोड़ के पार कैसे पहुंच सकता है?

रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2025 में देश के भीतर का GST कलेक्शन लगभग ₹1.49 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। अगर इसमें IGST और इम्पोर्ट पर लगने वाले सेस के करीब ₹51,000 करोड़ भी जोड़ दिए जाएं, तो कुल GST वसूली ₹2 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो सकती है। रिपोर्ट बताती है कि GST की दरें कम होने, त्योहारों में बढ़ी मांग और टैक्स भरने में हुई सुधारों की वजह से यह बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।

क्रेडिट और डेबिट कार्ड खर्च में इतनी तेजी क्यों?

त्योहारी महीनों में उपभोग के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखा गया। क्रेडिट कार्ड खर्च में Auto, Grocery, Electronics और Travel जैसी कैटेगरी में भारी उछाल दर्ज हुआ। ई-कॉमर्स पर 38% खर्च Utility & Services पर गया, जबकि सुपरमार्केट व ग्रॉसरी का 17% हिस्सा रहा। मिड-टियर शहरों में खर्च सबसे तेज़ बढ़ा। डेबिट कार्ड लेनदेन में भी मेट्रो शहरों में 8% और अर्बन क्षेत्रों में 7% की वृद्धि देखी गई, जिसमें ग्रॉसरी और departmental स्टोर्स शीर्ष पर रहे।

त्योहारी महीनों में लोगों की खरीदारी का तरीका काफी बदलता हुआ दिखा। क्रेडिट कार्ड से खर्च Auto, Grocery, Electronics और Travel जैसी कैटेगरी में तेजी से बढ़ा। ऑनलाइन शॉपिंग में भी भारी उछाल दिखा। ई-कॉमर्स पर हुए कुल खर्च का 38% हिस्सा यूटिलिटी और सर्विसेज पर गया, जबकि सुपरमार्केट और ग्रॉसरी की खरीद 17% रही।

खास बात यह रही कि मिड-टियर यानी छोटे–मध्यम शहरों में खर्च सबसे तेज बढ़ा। डेबिट कार्ड से भुगतान भी बढ़ा। मेट्रो शहरों में 8% और बाकी शहरों में 7% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। ग्रॉसरी और डिपार्टमेंटल स्टोर्स लोगों की सबसे ज्यादा पसंद बने रहे।

GST कम होने का लाभ उपभोक्ता को कैसे मिल रहा है?

रिपोर्ट कहती है कि GST की दरें कम होने का सीधा फायदा लोगों की खरीदारी पर दिखा है। ज्यादातर सेक्टरों में ऐसा हुआ कि कीमत थोड़ी कम होते ही लोगों ने ज्यादा खरीदारी शुरू कर दी। सरकारी खपत से जुड़े आंकड़ों को देखकर अनुमान लगाया गया है कि एक आम व्यक्ति को अब हर महीने अपने खर्च में लगभग 7% की बचत हो सकती है, और आने वाले समय में यह बचत और बढ़ भी सकती है।

वाहन बिक्री में ग्रामीण भारत क्यों चमका?

देशभर में कारों की बिक्री में इस बार 19% की मजबूत बढ़ोतरी देखी गई, और सबसे ज्यादा तेजी ग्रामीण इलाकों से आई। रिपोर्ट बताती है कि 10 लाख रुपये से ऊपर कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी 39% रही, यानी लोग अब पहले से ज्यादा महंगी कारें खरीद रहे हैं। मेट्रो शहरों में भी 20 लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाले प्रीमियम मॉडल की मांग काफी बढ़ी है। ये रुझान साफ बताते हैं कि खरीदारी में आई तेजी की अगुवाई ग्रामीण और उभरते शहरों ने की है, और लोग अब बेहतर और महंगी कारें लेने की तरफ बढ़ रहे हैं।

ई-कॉमर्स की बिक्री ने कौन सा रिकॉर्ड बनाया?

त्योहारी सीजन 2025 में ई-कॉमर्स ने रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की और कुल खरीदारी ₹1.24 लाख करोड़ तक पहुंच गई। शुरुआत के कुछ ही दिनों में ₹61,000 करोड़ की बिक्री हो जाना दिखाता है कि GST में कटौती और त्योहारों की जोरदार मांग ने मिलकर बड़ी तेजी पैदा की।

इलेक्ट्रॉनिक्स और अप्लायंसेज की बिक्री में सालाना 35–43% की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जबकि मोबाइल, लाइफस्टाइल और ब्यूटी जैसे सेक्टर भी अच्छी रफ्तार से बढ़े। सबसे खास बात यह रही कि सबसे ज्यादा खरीदार नॉन-मेट्रो शहरों से जुड़े, यानी छोटे और उभरते शहरों ने ऑनलाइन खरीदारी में बड़ी भूमिका निभाई।

अमेरिका की तुलना में भारतीय उपभोक्ता ज्यादा उत्साहित क्यों दिखे?

अमेरिका में इस साल ब्लैक फ्राइडे की ऑनलाइन बिक्री थोड़ी ही बढ़कर करीब $11.7 बिलियन पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन वहां लोगों का खर्च करने का मूड कमजोर दिख रहा है। इसके उलट, भारत में ऑनलाइन खरीदारी और लोगों की मांग दोनों तेजी से बढ़ रही हैं।

यह रुझान साफ बताता है कि भारतीय ग्राहक अब डिजिटल खरीदारी के एक नए दौर -‘Super Age of Online Gratification’ में कदम रख चुके हैं, जहां लोग ज्यादा आत्मविश्वास के साथ, ज्यादा सुविधा से और ज्यादा बार ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं।

First Published - November 18, 2025 | 10:34 AM IST

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