अर्थव्यवस्था

एकदम नीचे आई थोक व खुदरा महंगाई

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि थोक मूल्य सूचकांक  आधारित महंगाई की दर जून में 20 महीनों में पहली बार ऋणात्मक हुई।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- July 14, 2025 | 10:39 PM IST

भारत की खुदरा महंगाई दर जून में और सुस्त होकर 2.1 प्रतिशत हो गई जबकि यह मई में 2.82 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई में गिरावट सकारात्मक प्रभाव आधार और बीते छह वर्षों में पहली बार ‘खाद्य और पेय पदार्थ’ में गिरावट के कारण आई है। खुदरा महंगाई में गिरावट से केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को आने वाली समीक्षाओं में यथास्थिति कायम रखने की गुंजाइश मिलती है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सोमवार को जारी आंकड़े के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में इतनी सुस्त वृद्धि जनवरी 2019 में 1.97 प्रतिशत दर्ज की गई थी।

 वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चला कि थोक मूल्य सूचकांक  आधारित महंगाई की दर जून में 20 महीनों में पहली बार ऋणात्मक हुई। यह मई के 0.39 प्रतिशत के मुकाबले जून में -0.13 प्रतिशत थी। इससे पिछली बार थोक मूल्य सूचकांक में अवस्फीति अक्टूबर 2023 में दर्ज की गई थी और यह -0.26 प्रतिशत दर्ज की गई थी। खुदरा महंगाई के तहत खाद्य कीमतों में गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों के दामों में सालाना आधार पर 19 प्रतिशत की गिरावट से आई थी। सब्जियों के दामों में दिसंबर 2022 के बाद से सबसे तेजी से गिरावट आई थी। दाल के मूल्य में सालाना आधार पर 11.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी और यह सात वर्षों में सर्वाधिक थी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में मसालों और मांस का कुल भारांश  7.5 प्रतिशत था और इसमें भी क्रमश 3.03 प्रतिशत और 1.62 प्रतिशत की गिरावट आई थी। इसके अलावा खाद्य बास्केट में अनाज (3.73 प्रतिशत) और चीनी (3.5 प्रतिशत) सहित अन्य उत्पादों के दामों में वृद्धि मई की तुलना में कम हो गई थी। हालांकि खाद्य तेल (17.7 प्रतिशत) और फल (12.6 प्रतिशत) के मूल्य की वृद्धि में भी गिरावट आई लेकिन यह वृद्धि दो अंक में रही।

केयर एज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि मॉनसून की अच्छी प्रगति, पर्याप्त जलाशय स्तर और मजबूत खरीफ बोआई के साथ-साथ कृषि उत्पादन व खाद्य मूल्य में स्थिरता और मॉनसून की क्षेत्रवार निगरानी व वितरण महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बताया, ‘भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई में सुस्ती आने से पहले ही ब्याज दरों में कटौती कर दी है। इसलिए हमें आगे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है जब तक कि आर्थिकवृद्धि ध भारी गिरावट न आए।’ जून में प्रमुख महंगाई बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई और यह सितंबर 2023 के बाद सबसे अधिक है।  सोने की कीमतों में उछाल व अर्थव्यवस्था में मांग में लगातार वृद्धि से प्रमुख महंगाई को बल मिला है।

इंडिया रेटिंग्स  के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराई का कहना है कि बढ़ती प्रमुख मुख्य महंगाई पहली नजर में चिंताजनक लग सकती है। प्रमुख महंगाई में वृद्धि आभूषणों के दामों में तेजी से वृद्धि के कारण आया। दरअसल सोने के दाम पश्चिम एशिया में तनाव के कारण 36 प्रतिशत बढ़कर 58 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गए।

उन्होंने कहा, ‘सेवा ‘क्षेत्र की महंगाई बढ़कर 22 माह के उच्च स्तर 4.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह सेवा क्षेत्र में स्थिर मांग का संकेत है। हालांकि दो तिहाई से ज्यादा उत्पादों (अभी भी) 4 प्रतिशत से कम के स्तर पर हैं और यह उपभोक्ता उत्पादों में व्यापक अवस्फीतिक की ओर इशारा करता है। रिजर्व बैंक आगामी समीक्षा में यथास्थिति को कायम रख सकता है। ’

First Published : July 14, 2025 | 10:14 PM IST