पीएलआई में बदलाव का सुझाव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:06 AM IST

कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में सुधार का सुझाव दिया है ताकि देश में विनिर्माण को बढ़ावा मिले और यह योजना निवेशकों के ज्यादा अनुकूल बने। समिति के अनुसार इस योजना की राह में आने वाली अड़चनों को शीघ्रता से दूर करने की जरूरत है।
मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया कि कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली समिति की हाल ही में विभिन्न मंत्रालयों के साथ बैठक हुई थी। इसमें कहा गया था कि सरकार को 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना में हिस्सा लेने के लिए हामी भरने वाली कंपनियों के साथ लगातार बातचीत के लिए प्रभावी ‘संस्थागत तंत्र’ बनाना चाहिए।
संस्थागत तंत्र राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की इस प्रमुख योजना में दिलचस्पी दिखाने वाले वैश्विक निवेशकों सहित तमाम निवेशकों की राह में आने वाली चुनौतियां दूर करने के उपायोंं पर ध्यान देगा। सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत देश में विनिर्माण को बढ़ावा देने के मकसद से पिछले साल पीएलआई योजना का ऐलान किया था।
जानकारी रखने वाले शख्स ने कहा, ‘उद्योग के साथ नियमित बातचीत और योजना के तहत हासिल विभिन्न उपलब्धियों पर नजर रखने का भी विचार है। कंपनियों को नियमित सहायता भी मिलनी चाहिए।’
तेजी से निर्णय लेने और इस योजना के तहत लाभ लेने वाली कंपनियों की कानूनी जरूरतों को देखने के लिए भी एक व्यवस्था बनाई जाएगी। कोरोना महामारी की वजह से आई अड़चन के बीच इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माताओं सहित विभिन्न कंपनियों ने सरकार से उत्पादन एवं निवेश लक्ष्य में रियायत मांगी थी। इसी को ध्यान में रखकर ये सुझाव दिए गए हैं। कंपनियों ने पहले से तय 2019-20 आधार वर्ष को भी बदलने की मांग की है। हालांकि नियमों में ढील देने की अभी औपचारिक घोषणा नहीं की गई है लेकिन उद्योग की चिंता को दूर करने के लिए प्रक्रियागत उपाय किए जा रहे हैं, जिससे निवेशकों का मनोबल बढ़ेगा और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा मिलेगा। उक्त शख्स ने कहा कि नई इकाइयां स्थापित करने के लिए जरूरी मंजूरियों में तेजी लाने एवं दूसरी समस्याएं हल करने के लिए राज्य सरकारों की ओर से भी निरंतर सहयोग की जरूरत बताई गई है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजना की घोषणा की थी। इनमें दूरसंचार, कपड़ा, वाहन, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, फार्मास्युटिकल्स दवा आदि शामिल हैं। योजना का मकसद स्थानीय स्तर पर वस्तुएं तैयार करना, उनकी लागत प्रतिस्पद्र्घी बनाना और रोजगार सृजन करना है। साथ ही सस्ते आयात पर रोक लगाना और निर्यात को बढ़ावा देना भी इसका उद्देश्य है। सरकार के अनुमान के मुताबिक पीएलआई योजना से अगले पांच साल में देश में 500 अरब डॉलर से ज्यादा का उत्पादन होगा। इसके अलावा चीन के साथ तनाव को देखते हुए भारत आपूर्ति शृंखला में भी विविधता लाने की कोशिश कर रहा है।

First Published : June 2, 2021 | 11:20 PM IST