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तेल के बढ़े दामों से राज्यों को लाभ

Last Updated- December 11, 2022 | 6:35 PM IST

राज्यों के पास पेट्रोल व डीजल पर मूल्यवर्धित कर (वैट) कम करने की भरपूर गुंजाइश है। तेल की कीमतें बढऩे पर राज्यों ने वैट से 49,021 करोड़ रुपये कमाए हैं। अब खुदरा दाम कम होने से उन्हें 15,021 करोड़ रुपये गंवाने होंगे, क्योंकि उत्पाद शुल्क में कमी का समायोजन हुआ है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध संबंधी रिपोर्ट में यह सामने आया है।
राज्यों द्वारा लिया जाने वाला वैट एड-वैलोरम है, जिसका मतलब यह है कि जब पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ते हैं तो राज्यों का वैट संग्रह बढ़ता है और जब केंद्र सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करती है तो यह अपने आप कम हो जाता है।
स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘इसका मतलब यह है कि राज्यों को अभी भी 34,208 करोड़ रुपये राजस्व मिल रहा है और इस हिसाब से वे तेल की कीमतों में आगे और कटौती कर सकते हैं। महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है और उसके बाद गुजरात व तेलंगाना का स्थान है।’ घोष ने कहा कि कोविड-19 के बाद से राज्यों राज्यों की वित्तीय स्थिति में सुधार है। इससे संकेत मिलता है कि राज्यों के पास करों के समायोजन के पर्याप्त साधन हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राज्यों की कम उधारी में भी नजर आ रहा है। इस सभी वजहों को संज्ञान में रखकर और तेल पर उत्पाद शुल्क पूरी तरह समायोजित करके देखें कि राज्यों को तेल राजस्व से कोई लाभ या हानि न हो तो घोष ने कहा कि राज्य अब भी डीजल की कीमत में 2 रुपये लीटर और डीजल की कीमत में 3 रुपये लीटर की कटौती कर सकते हैं।
घोष ने कहा, ‘महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों का कर्ज और जीडीपी का अनुपात कम है और डीजल व  पेट्रोल पर 5 रुपये प्रति लीटर तक भी कटौती किए जाने की वित्तीय ताकत है। हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और अरुणाचल प्रदेश का कर जीडीपी अनुपात 7 प्रतिशत से ज्यादा है। हमारा मानना है कि इन राज्यों के पास ईंधन के दाम के समायोजन की पूरी वजह है।’
परिवारों व कारोबारियों पर महंगाई दर संबंधी दबाव कम करने की कवायद में केंद्र सरकार ने पेट्रोस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत में 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती इस महीने की शुरुआत में की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण दोनों ने राज्यों से कहा है कि वे महंगाई आगे और घटाने के लिए वैट में कटौती करें। एसबीआई रिसर्च में कहा गा है कि तेल के कर ढांचे में जटिलताएं घटाने और बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव से मुक्ति पाने के लिए बेहतर उपाय इन्हें जीएसटी के दायरे में लाना है।

First Published - May 31, 2022 | 12:25 AM IST

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