किसानों को ज्यादा दाम मिलने से बढ़ा सोयाबीन का रकबा, गिरेंगे दाम:
– बोआई बढ़कर 117.50 लाख हेक्टेयर हुई,मौसम भी फसल केअनुकूल
– सोयाबीन के अच्छे दाम मिलने से किसानों का रहा ज्यादा बोआई पर जोर
– लेकिन ज्यादा बोआई से अच्छी पैदावार होने पर दाम काफी गिरने के आसार
– भाव 6,200 रुपये क्विंटल, नई फसल आने पर गिर सकते हैं 5,000 रुपये तक
– इस साल 8,000 और पिछले साल 10,000 रुपये क्विंटल तक चढ़ गए थे भाव
मध्य प्रदेश के हरदा जिले में रोहित काशिव ने इस साल करीब 35 एकड़ जमीन पर सोयाबीन बोया है। पिछले साल उन्होंने केवल 12 एकड़ में सोयाबीन की बोआई की थी। इसकी वजह सोयाबीन के शानदार दाम हैं। काशिव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि पिछले कुछ साल में इस इलाके में किसान सोयाबीन से मुंह मोड़ने लगे थे मगर पिछले साल में उनका सोयाबीन 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका। इसलिए किसान इस बार सोयाबीन के लिए उमड़ पड़े। हरदा जिले के कुछ इलाकों में बोआई के फौरन बाद बारिश होने से फसल को नुकसान हुआ है मगर उज्जैन, देवास, इंदौर, भोपाल जैसे सोयाबीन उत्पादक इलाकों में फसल अच्छी है।
काशिव सही कह रहे हैं। सीजन की शुरुआत में इस बार सोयाबीन की बोआई पिछड़ गई थी और एकबारगी लगा कि लक्ष्य से पीछे रह जाएगी। मगर जैसे-जैसे उत्पादक क्षेत्रों में बारिश बढ़ी वैसे-वैसे ही बोआई भी बढ़ती गई। रफ्तार इतनी बढ़ी कि इस साल अभी तक पिछले साल से ज्यादा सोयाबीन बो दिया गया है, जिसकी वजह काशिव बता ही रहे हैं – पिछले साल मिला अच्छा भाव। अभी तक मौसम भी सोयाबीन की फसल के लिए अच्छा रहा है। इसलिए किसानों और जानकारों के मुताबिक इस साल सोयाबीन पिछले साल से भी ज्यादा हो सकता है। मगर सही अनुमान इस महीने के अंत तक ही सामने आएगा।
कृषि मंत्रालय के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त तक देश में 117.50 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया जा चुका है, जो पिछले साल 5 अगस्त तक के 115.20 लाख हेक्टेयर से करीब 2 फीसदी ज्यादा है। सोयाबीन बोआई में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है। मध्य प्रदेश इस मामले में अव्वल है, जहां 49.83 लाख हेक्टेयर रकबे में सोयाबीन बोया गया है। महाराष्ट्र में 47.10 लाख, राजस्थान में 11.32 लाख और कर्नाटक में 4.13 लाख हेक्टेयर बोया गया है। मगर हकीकत यह है कि सोयाबीन में हमेशा सबसे आगे रहने वाले मध्य प्रदेश में बोआई पिछले साल से 3.5 फीसदी कम हुई है। महाराष्ट्र में जरूर आंकड़ा पिछले साल से 5.86 फीसदी ज्यादा है। कर्नाटक में 9.28 फीसदी और राजस्थान में 1.29 फीसदी अधिक बोआई हुई है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक 2020-21 में 137 लाख टन सोयाबीन उत्पादन हुआ था। उससे पिछले वर्ष में आंकड़ा करीब 112 लाख टन रहा था।
ओरिगो ई-मंडी के सहायक महाप्रबंधक (जिंस शोध) तरुण सत्संगी बताते हैं कि अभी तक मौसम सोयाबीन की फसल के अनुकूल रहा है और आगे बारिश कुछ कम रही तो पैदावार पर खास असर नहीं पड़ेगा। मगर सोयाबीन प्रोसेसर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक कहते हैं कि ज्यादा बारिश होने पर फसल को नुकसान हो सकता है, इसलिए अभी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी। मगर उनके हिसाब से अभी तक सोयाबीन की प्रगति अच्छी है। जानकार बता रहे हैं कि अगस्त के आखिर या सितंबर के शुरू में ही उत्पादन का सही अनुमान लगेगा। मगर बोआई में इजाफा देखकर पैदावार अच्छी होने की उम्मीद पालना स्वाभाविक है।
और सस्ता होगा सोयाबीन
सोयाबीन की ज्यादा पैदावार सुनने में अच्छी लग सकती है मगर किसानों के लिए यह मुश्किल का सबब हो सकती है। कारोबारियों का कहना है कि ज्यादा बोआई होने और वैश्विक बाजारों में खाद्य तेल और तिलहन की मौजूदा स्थिति के कारण सोयाबीन के भाव आगे जाकर 20 फीसदी गिर सकते हैं। किसानों के लिए यह बेशक अच्छी खबर नहीं है मगर महंगाई से जूझ रहे उपभोक्ताओं को खाद्य तेल की कीमतों में और राहत मिल सकती है।
मध्य प्रदेश के सोयाबीन कारोबारी हेमंत जैन कहते हैं कि वैश्विक बाजार में खाद्य तेल सस्ते होने और सोयाबीन की बोआई बढ़ने के कारण पिछले कुछ महीनों में सोयाबीन के दाम लगातार गिरे हैं। इस समय इंदौर मंडी में सोयाबीन का भाव करीब 6,200 रुपये प्रति क्विंटल है, जो पिछले साल 10,000 रुपये तक चला गया था। ज्यादा बोआई के कारण उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, इसलिए सोयाबीन के भाव में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की कमी और आ सकती है।
सत्संगी को भी यही लग रहा है कि अगले महीने तक भाव गिरकर 5.500 रुपये प्रति क्विंटल रह सकते हैं। इतना ही नहीं, अक्टूबर में आने वाली नई फसल का भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर खुलने का अनुमान है। वैश्विक बाजार की तस्वीर भी अलग नहीं है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन के भाव 17.84 डॉलर प्रति बुशल की ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इस समय गिरकर 14 डॉलर ही रह गए हैं। वहां भी नई फसल के भाव 12.5 से 15 डॉलर प्रति बुशल के दायरे में रहने की संभावना है।
जिन विशेषज्ञों को पहले सोयाबीन के भाव ठीक रहने की संभावना लग रही थी अब उनकी राय भी बदल रही है। आईआईएफएल सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट और जिंस विशेषज्ञ अनुज गुप्ता का कहना है कि पहले सूखे के कारण सोयाबीन की फसल कमजोर रहने का अंदेशा था। मगर अब वहां बारिश होने से नुकसान की काफी हद तक भरपाई हो चुकी है। इसलिए अमेरिका में भी सोयाबीन का उत्पादन ज्यादा नहीं घटेगा। इसी वजह से वैश्विक बाजार में सोयाबीन के दाम 1,400 डॉलर से घटकर 1,200 डॉलर रह जाने के आसान नजर आ रहे हैं।
वैश्विक और घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम काफी गिर चुके हैं और आगे भी इनमें नरमी के आसार नजर आ रहे हैं। इसकी वजह से भी सोयाबीन की कीमतों में गिरावट दिखेगी। सोयाबीन सस्ता होने से सोयाबीन का तेल भी सस्ता हो गया है, जिसका असर अब बाजारों में नजर भी आ रहा है। दो महीने पहले खौल रहे खाद्य तेलों में अब काफी नरमी आ गई है। रिफाइंड सोयाबीन तेल का थोक भाव महीने भर में ही करीब 5 फीसदी घटकर 124 रुपये प्रति किलोग्राम रह गया है। इसी साल मार्च में इसका भाव 160 रुपये प्रति किलो था। इस समय सोयाबीन तेल पिछले साल अगस्त की तुलना में 12 फीसदी सस्ता चल रहा है, जो त्योहारों से पहले ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है।
सोयाबीन बोआई के आंकड़े
राज्य वर्ष
2021 2022
मध्य प्रदेश 51.67 49.83
महाराष्ट्र 44.48 47.10
राजस्थान 10.03 11.32
कर्नाटक 3.78 4.13
अन्य राज्य 8.92 5.12
कुल 115.10 117.50
आंकड़े 5 अगस्त तक, लाख हेक्टेयर में
स्रोत: कृषि व किसान कल्याण विभाग
सोयाबीन उत्पादन के आंकड़े लाख टन में
वर्ष उत्पादन
2017—18 109.33
2018—19 132.68
2019—20 112.26
2020—21 137.11
2020—21 137.11
स्रोत: कृषि व किसान कल्याण विभाग