सरकार ने निर्यात उत्पादों पर शुल्क और कर छूट योजना (आरओडीटीईपी) के तहत निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए बहुप्रतीक्षित नियमों और कर रिफंड दरों की घोषणा कर दी है। यह नियम निर्यात किए जाने वाले 8,555 उत्पादों के लिए है। इस योजना के लिए चालू वित्त वर्ष में 12,454 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें रिफंड दरें 0.5 प्रतिशत से 4.3 प्रतिशत के बीच हैं।
इस योजना को 1 जनवरी को अधिसूचित किया गया था और इसने विवादास्पद भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात योजना (एमईआईएस) की जगह ली थी। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियम में कहा गया था कि एमईआईएस योजना से वैश्विक कारोबार निकाय के प्रावधानों का उल्लंघन होता है, जिसमें बड़े पैमाने पर वस्तुओं के निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है।
आरओडीटीईपी का लक्ष्य निर्यातकों को इनपुट पर केंद्र, राज्य और स्थानीय शासन द्वारा लगने वाले शुल्कों के भुगतान का रिफंड करना है। अब तक इन करों का रिफंड नहीं मिलता था। योजना अधिसूचित किए जाने के 8 महीने बाद रिफंड दरों की घोषणा की गई है। सरकार ने कहा कि यह लाभ 1 जनवरी 2021 से लागू होगा। वाणिज्य विभाग और वित्त मंत्रालय जनवरी-मार्च (2020-21) की देनदारी पर काम कर रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि इसकी गणना आनुपातिक आधार पर की जाएगी।
वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा कि यह योजना डब्ल्यूटीओ का अनुपालन करती है और किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का खतरा नहीं है। सुब्रमण्यम ने आगे कहा कि राज्यों और केंद्र के करों व शुल्कों पर छूट (आरओएससीटीएल) गारमेंट्स और मेडअप्स योजना की ही तरह है, जिसमें केंद्र सरकार कुल 19,400 करोड़ रुपये देगी। सुब्रमण्यम ने संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसे समय में, जब देश कोविड महामारी से उबरने की कवायद कर रहा है, आत्म निर्भरता सरकार की प्राथमिकता है। यह धन सीधे निर्यातकों की जेब में जाएगा। अगले कुछ सप्ताह में दो और व्यवधानों को दूर कर दिया जाएगा।’
सुब्रमण्यम ने कहा कि सरकार जल्द ही तीन प्रमुख योजनाओं टार्गेट प्लस, सर्विस एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (एसईआईएस) और एमईआईएस के बकाये का भुगतान कर देगी।
योजना के तहत दरें अधिसूचित किए जाने से निर्यातकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। साथ ही इससे वाणिज्य एवं उद्योग जगत के बीच अनिश्चितता दूर हुई है और अब वे विदेशी खरीदारों के साथ नए समझौते कर सकेंगे। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष शक्तिवेल ने कहा, ‘बहुप्रतीक्षित दरों की घोषणा से निर्यातकों के पास नकदी आने से राहत मिलेगी। इससे अनुमान और स्थिरता सुनिश्चित हुई है और निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी।’ ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि निर्यात उद्योग लाभों के साथ नई योजना में बाधारहित लेनदेन की उम्मीद कर रहा है।
रोजगार केंद्रित क्षेत्रों जैसे मैरीन, कृषि, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण इस योजना के दायरे में शामिल हैं। ऑटोमोबाइल, प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य क्षेत्र भी इसमें शामिल होंगे। इसके अलावा टेक्सटाइल क्षेत्र की पूरी मूल्य शृंखला आरओडीटीईपी और आरओएससीटीएल योजनाओं के दायरे में होगी।
बहरहाल स्टील, कार्बनिक एवं अकार्बनिक रसायन, दवा क्षेत्रों को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। सुब्रमण्यम के मुताबिक ये क्षेत्र खुद बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, इसकी वजह से इन्हें शामिल नहीं किया गया है। वहीं एडवांस अथॅराइजेशन धारक, एसईजेड के साथ अन्य निर्यात इस योजना के पात्र नहीं होंगे।
इकोनॉमिक लॉ प्रैक्टिस के वरिष्ठ पार्टनर रोहित जैन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि दरों को कम करने में बजट आवंटन ने अहम भूमिका निभाई है। बड़े क्षेत्रों व श्रेणियों को योजना का लाभ नहीं दिया गया है, जिनकी प्रतिस्पर्धा पर बुरा असर पड़ेगा और निर्यातकों में नकारात्मक धारणा बनेगी।’