जुलाई के बाद से भारतीय इक्विटी बाजारों में अच्छे खासे सुधार से एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 ने इस साल अब तक के नुकसान को पीछे छोड़ दिया है, ऐसे में विश्लेषकों ने निवेशकों को उन शेयरों पर नजर डालने का सुझाव दिया है, जो देसी अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
उनका कहना है कि वैश्विक केंद्रीय बैंकों की नीतियों व अन्य आर्थिक आंकड़ों के चलते रुक-रुककर होने वाली गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन विश्लेषकों को उम्मीद है कि वैश्विक इक्विटी बाजारों में भारत का सापेक्षिक उम्दा प्रदर्शन जारी रहेगा क्योंकि ठीक-ठाक आर्थिक सुधार के साथ यह बेहतर स्थिति में है और तेज गति से बढ़ने वाली अहम अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
ऐक्सिस सिक्योरिटीज के प्रमुख (इक्विटी रणनीतिकार) नीरज चडावर का मानना है कि वैश्विक नरमी के बीच केंद्रीय बैंकों की सख्ती और देसी हितों को तरजीह दिए जाने से निर्यान्तोन्मुखी थीम अल्पावधि में या तो सुस्त रहेगी या फिर उसका रिटर्न संकीर्ण रहेगा।
उनका कहना है, ऐसे में बैंक, ऑटो, एफएमसीजी, हॉस्पिटल्स, देसी इंडस्ट्रियल और डिस्क्रेश्नरी का प्रदर्शन निर्यात प्लस साइक्लिकल थीम के मुकाबले उम्दा बना रह सकता है।
कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक, वैश्विक इक्विटी के लिए जोखिमों में दुनिया की जीडीपी की रफ्तार में नरमी से कमजोर मांग (कंपनियों की आय पर उसका असर) और वैश्विक ऊर्जा को लेकर अनिश्चितता आदि शामिल है। ब्रोकरेज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ऊर्जा की उच्च कीमतों के निहितार्थ नकारात्मक हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था महंगाई, चालू खाते का घाटा, कंपनियों के लाभ व मुद्रा को लेकर नाजुक बनी रहेगी। इसके अलावा वैश्विक मांग में नरमी का भी जोखिम है।
इस बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के मजबूत निवेश, जिंस की कीमतों खास तौर से तेल में नरमी और महंगाई के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने व आर्थिक विकास की स्थिर रफ्तार के बीच आरबीआई की तरफ से ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की कम उम्मीद से भारतीय इक्विटी में हाल में सुधार हुआ है।
पूंजीगत सामान क्षेत्र, बिजली, टिकाऊ उपभोक्ता, धातु और रियल्टी क्षेत्रों ने जुलाई 2022 के बाद से बेहतर प्रदर्शन किया है और उनके सूचकांकों में 22.5 फीसदी से लेकर 28.5 फीसदी तक की तेजी दर्ज हुई है। ऐस इक्विटी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इसकी तुलना में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स में तब से करीब 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर सूचना प्रौद्योगिकी व स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। बीएसई में उनके सूचकांकों में इस दौरान 1.34 फीसदी से लेकर 6.8 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज निवेश दर, डिस्क्रेश्नरी कंजम्पशन और सुधरती हुई क्रेडिट रफ्तार को तरजीह दे रही है। वैयक्तिक शेयरों की बात करें तो वह एलऐंडटी, एनटीपीसी, कोल इंडिया, अल्ट्राटेक सीमेंट, जेके सीमेंट, टाटा कम्युनिकेशन, ग्रीनपैनल, इंद्रप्रस्थ गैस, ऑयल इंडिया, गेल, ब्रिगेड एंटरप्राइजेज, फीनिक्स मिल्स, टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, डाबर इंडिया, ज्योति लैब्स, सफायर फूड्स, मेट्रो ब्रांड्स, गो कलर्स, एसबीआई, इंडसइंड बैंक, एसबीआई लाइफ, एसबीआई कार्ड्स और ऐंजल वन पर उसका नजरिया तेजी का बना हुआ है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने कहा, हम बीएफएसआई, आईटी, कंज्यूमर, टेलिकॉम व ऑटो पर ओवरवेट रुख बनाए हुए हैं और ऊर्जा, धातु व हेल्थकेयर पर हमारा रुख अंडरवेट या तटस्थ है।
ब्रोकरेज हालांकि लार्जकैप में रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, एचयूएल, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, आईटीसी, मारुति सुजूकी, टाइटन कंपनी, हिंडाल्को और अपोलो हॉस्पिटल्स पर सकारात्मक है। मिडकैप व स्मॉलकैप में उसकी पसंद मैक्रोटेक डेवलपर्स, जुबिलैंट फूडवर्क्स, क्लीन साइंस, एमऐंडएम फाइनैंशियल, वीआरएल लॉजिस्टिक्स और लेमन ट्री होटल है।