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‘व्यय के साथ वित्तीय स्थिरता की जरूरत’

Last Updated- December 15, 2022 | 8:10 PM IST

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नव नियुक्त अध्यक्ष उदय कोटक ने आज कहा कि राजस्व में कमी आने और पहले से अधिक सार्वजनिक खर्च की जरूरत के बीच भविष्य में निस्संदेह राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी स्थिति में भी वित्तीय और राजकोषीय स्थायित्व बनाए रखने की जरूरत है।   
मूडीज की ओर से भारत की सॉवरिन रेटिंग में की गई कमी को एक चेतावनी के तौर पर बताते हुए कोटक ने कहा कि सरकार को कोविड के कारण लोगों, कारोबारियों और वित्तीय क्षेत्र पर पड़े असर को समाप्त करने के लिए दृढ़तापूर्वक खर्च करते हुए राजकोषीय स्थायित्व को बनाए रखने की जरूरत है। 
विश्लेषकों का अनुमान है कि राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 11.5 फीसदी पर पहुंच जाएगा, जो कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप शुरू होने से पहले 6.5 फीसदी पर था। कोटक ने कहा कि राजकोषीय घाटा में यह वृद्धि सरकार के 10 लाख करोड़ रुपये के नुकसान के बराबर होगा।
बैंकर ने कहा, ‘रेटिंग के अपने अभिप्राय होते हैं, इसके निहितार्थ हमें ध्यान में रखने की जरूरत है ताकि विदेशी बाजारों से भारतीयों या भारतीय कंपनियों की ओर से उधारी लागत में तेज वृद्धि नहीं हो।’ कोटक महिंद्रा बैंक के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कोटक ने बुधवार को विक्रम किर्लोस्कर के स्थान पर सीआईआई का अध्यक्ष पद संभाला।
स्थापित मान्यता से अलग हटते हुए सीआईआई के अध्यक्ष ने अपने उद्घाटन प्रेस कान्फ्रेंस में चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान जारी नहीं किए। उनका तर्क था कि महामारी के असर को अभी समझा जा रहा है। 
उन्होंने कहा, ‘यह मान लेना उचित है कि चालू वर्ष में चूंकि लॉकडाउन की अवधि लंबी रही है, जीडीपी वृद्धि के नकारात्मक रहने के आसार हैं। इस साल कुछ नकारात्मक वृद्धि रह सकती है।’
उन्होंने कहा कि ध्यान सालाना के बजाय मासिक स्तर पर होने वाले ठोस प्रगति पर होना चाहिए क्योंकि अर्थव्यवस्था के कई खंड संकट का सामना कर रहे हैं और उससे उबर रहे हैं।  
कोटक ने अर्थव्यवस्था के एक विस्तृत परिदृश्य को अपनाने के लिए भी कहा है, जिसके बहुत से हिस्से वैश्विक अनुमानों के मुताबिक इस संकट से उबर कर अपने पहले के स्तर पर नहीं पहुंच पाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके बजाय कुछ दूसरे क्षेत्र खासतौर पर डिजिटल और तकनीक से संबंधित क्षेत्र होंगे, जिनमें गतिविधि और नौकरियों में फिर से तेजी आएगी।  
ऋण चुकाने में मोहलत के दौरान ब्याज दरों को माफ करने के मुद्दे पर दबाव में आए बैंकों को लेकर कोटक ने कहा कि बैंकों का जमाकर्ताओं के प्रति बाध्यताएं होती हैं जो मूलधन और ब्याज दोनों पर होता है और यह तब भी लागू है जब उधारकर्ता ऋण चुकाने में मोहलत की सुविधा का लाभ ले रहे हैं।  उन्होंने कहा, ‘जो लोग ऋण मोहलत पर ब्याज को माफ करने की मांग कर रहे हैं, उन्हें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि कहीं न कहीं वे जमाकर्ता भी होंगे।’

First Published - June 4, 2020 | 11:56 PM IST

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