औद्योगिक वृद्धि को ज्यादा सटीक तरीके से मापने वाला सूचकांक दो महीने से बनकर तैयार है लेकिन सरकार के दो विभागों में आंकड़ों के संग्रह को लेकर दुविधा होने के कारण इसे अभी तक अमल में नही लाया जा सका है।
समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले इस सूचकांक के अंतर्गत औद्योगिक उत्पाद सूचकांक (आईआईपी) की गणना वर्ष 1999-2000 के आधार पर की जाएगी। अभी जो सूचकांक मौजूद है उसका आधार वर्ष 1993-94 है। इसके अलावा इस नए सूचकांक के तहत 886 सामग्रियों को शामिल किया जाएगा जबकि वर्तमान सूचकांक में 543 सामग्रियां ही मौजूद है।
इस नए सूचकांक में सामग्रियों की औद्योगिक प्रवृत्तियों के साथ साथ इसकी खपत प्रवृत्ति को भी शामिल किया जाएगा। नए सूचकांक में जहां एक तरफ मोबाइल फोन को शामिल किया गया है वहीं टाइपराइटर जैसी सामग्रियों को इससे निकालने की बात की गई है।
लेकिन इस नए सूचकांक में दुविधा इस बात को लेकर है कि उपभोक्ता सामानों के आंकड़े को सटीकता से कैसे पेश किया जाए। इस नए सूचकांक में इन उपभोक्ता सामग्रियों को शामिल करने की बात कही गई है। जबकि इसमें हो रही देरी की वजह यह है कि केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) और औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) के बीच आंकड़ों के संग्रह को लेकर मतभेद है।
जबकि सीएसओ हर माह सूचकांक के आंकड़ों को इकट्ठा करने और उसे संकलित करने के लिए जिम्मेदार होता है और डीआईपीपी वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय से जुड़ा हुआ है और नीतिगत स्तर पर यह संस्था भी कई तरह के आंकड़ों के प्रति जिम्मेदार है। सांख्यिकी और योजना कार्यान्वयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि दो महीने पहले सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग ने इस नए सूचकांक को मान्यता दे दी है।
हमलोग इस बात की योजना बना रहे थे कि आईआईपी द्वारा बनाए गए आंकड़े को जनवरी तक रिलीज कर दिया जाए। जबकि डीआईपीपी इस नए सूचकांक के लिए किसी प्रकार के आंकड़े देने को तैयार नहीं है। इसके जवाब में डीआईपीपी के एक अधिकारी ने बताया कि इस देरी के लिए हमारा विभाग दोषी नही है। हमारा विभाग आंकडा प्रस्तुत करने वाला सबसे बड़ा विभाग है।
विभाग उन 15 स्रोतों में से एक है जो आईआईपी को आंकड़े उपलब्ध कराता है। विभाग इस नए सूचकांक के लिए एकत्र हो रहे आंकड़े पर नजर रखे हुए है। डीआईपीपी के एक अधिकारी ने बताया कि लगातार सटीक आंकड़े एकत्र करना एक बड़ी चुनौती है। 2002 में विभाग केंद्र को भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए आंकड़े उपलब्ध कराता था। हालांकि यह अनुबंध पिछले दिसंबर में खत्म हो गया। इसके बाद कंपनी अपने आंकड़े सरकार को खुद से भेजती है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक की कहानी
भारत के आईआईपी में उद्योग के तीन क्षेत्र – खदान, निर्माण और बिजली ही आते हैं। सूचकांक में इनका भार क्रमश: 10.47, 79.36 और 10.17 प्रतिशत है।
सीएसओ के आंकड़े एकत्र करने के मुख्य स्रोत डीआईपीपी, आईबीएम नागपुर, डीसीएसएसआई, सीईए और रेलवे है।