सफेद सोना कहलाने वाले कपास की कीमतें बढ़ी हैं और प्याज जैसी फसल का अच्छा भाव नहीं मिला है, जिसका असर चालू खरीफ सीजन की बोआई पर भी नजर आ रहा है। कपास के लिए किसानों का रुझान बढ़ रहा है और उसकी बोआई भी बहुत अच्छी हो रही है। हालांकि जुलाई तक ऐसा नहीं था। कपास उगाने वाले प्रमुख राज्यों में बहुत अधिक बारिश हुई थी, जिसके कारण फसल कमजोर पड़ने की आशंका जताई जा रही थी। मगर कपास के ऊंचे दाम इतने लुभावने थे कि किसानों ने किसी की नहीं मानी और जमकर बोआई की। इसीलिए पिछले साल की तुलना में देश में कपास का रकबा बढ़ गया है और सबसे बड़े कपास उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में रिकॉर्ड बोआई हुई है। रकबा बढ़ने की वजह से इस साल कपास का उत्पादन भी नई ऊंचाई पर पहुंचने की उम्मीद है।
कृषि मंत्रालय के आंकड़े भी इशारा कर रहे हैं कि इस बार किसान प्याज और दूसरी फसलों की जगह कपास की खेती को तरजीह दे रहे हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है अच्छी बारिश और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा भाव मिलना। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 अगस्त तक देशभर में 121.12 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की बोआई हो चुकी है। पिछले साल 5 अगस्त तक देश में कपास का रकबा 113.5 लाख हेक्टेयर ही था यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल कपास का रकबा करीब सात फीसदी अधिक है।
महाराष्ट्र में इस बार कपास की रिकॉर्डतोड़ बोआई हुई है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कपास का रकबा अभी तक पिछले साल के मुकाबले करीब 3 लाख हेक्टेयर अधिक है। महाराष्ट्र में 5 अगस्त तक 42.72 लाख हेक्टेयर में कपास की बोआई हो चुकी थी, जबकि पिछले साल इस समय तक 38.74 लाख हेक्टेयर में ही कपास बोया गया था। राज्य में करीब 8.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई कपास की फसल भारी बारिश के कारण प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। कृषि मामलों के जानकार विपुल राय कहते हैं कि अभी तक यह निश्चित नहीं हो पाया है कि बारिश के कारण कपास को कितना नुकसान हुआ। मगर जो फसल खराब हुई है, उसकी दोबारा बोआई की जा रही है। किसानों का यह उत्साह तो यही बता रहा है कि महाराष्ट्र में इस बार कपास का रकबा सभी रिकॉर्ड तोड़ने वाला है।
कपास उत्पादन में दूसरा स्थान गुजरात का है और वहां भी कपास की बोआई 25.04 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जबकि पिछले साल तक यहां कपास का रकबा करीब 22 लाख हेक्टेयर ही था। मगर तेलंगाना में इस बार कपास का रकबा पिछले साल से कम है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक तेलंगाना में अभी तक 19.983 लाख हेक्टेयर में कपास की बोआई हो सकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक यहां 20.18 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कपास लग चुका था। पंजाब में भी कपास की बोआई बहुत कम हुई है।
कपास की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ने की वजह ऊंचे भाव को माना जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक किसान व्यावसायिक फसलों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैंक्योंकि उन्हें पूरे सीजन एमएसपी से अधिक भाव मिला। केंद्र सरकार ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 355 रुपये की बढ़ोतरी करके 2022-23 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 6,080 रुपये प्रति क्विंटल तय किया। जबकि 2021-22 में मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 5,727 रुपये प्रति क्विंटल था।एमएसपी में बढ़ोतरी के बावजूद किसान साल भर खुले बाजार में अपनी फसल बेच रहे थे क्योंकि बाजार में एमएसपी से ज्यादा भाव मिल रहा है। इस समय महाराष्ट्र के खुले बाजार में कपास की औसत कीमत 9,000 रुपये प्रति क्विंटल है। रकबा बढ़ने की वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले कपास वर्ष (अक्टूबर 2022-सितंबर 2023) में कपास का उत्पादन 375 लाख गांठ तक पहुंच सकता है।
उत्पादन और मांग में कमी
अगले फसल वर्ष में तो कपास का उत्पादन बढ़ने के आसार हैं मगर फसल वर्ष 2021-22 में इसकी पैदावार कम रहने की आशंका जताई गई है। कॉटन असोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक 2021-22 में देश में कपास का उत्पादन गिरकर 315.32 लाख गांठ (1 गांठ में 170 किलो) रहने का अनुमान है, जबकि 2020-21 में देश में 323.63 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। इस सीजन में बोआई के आंकड़े देखकर यही कहा जा रहा है कि अगले साल कपास का उत्पादन कढ़ेगा मगर मांग में कमी की बात भी कही जा रही है। कॉटन असोसिएशन ऑफ इंडिया ने फसल वर्ष 2021-22 के लिए घरेलू खपत का अनुमान बदलकर 315 लाख गांठ कर दिया है। पहले अनुमान लगाया गया था कि 320 लाख गांठ की खपत होगी।
इस साल भी भाव बेहतर
उत्पादन कम होने के साथ ही खपत में भी कमी का अनुमान लगाया गया है। ओरिगो ई मंडी के सहायक महाप्रबंधक तरुण सत्संगी के मुताबिक भाव ऊंचे हैं और आपूर्ति में कमी है, जिसकी वजह से कपास के भाव ऊंचे ही बने रहेंगे। कमजोर आपूर्ति के कारण भाव में साल भर तेजी रही थी। भारत के साथ चीन में उत्पादन कम होने और चीन व अमेरिका में स्टॉक बढ़ाए जाने की वजह से मांग में तेजी आएगी, जिसके कारण इस साल भी कपास के भाव चढ़े रहने का अनुमान है यानी किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मिलेगा।
पांच अगस्त तक कपास का रकबा लाख हेक्टेयर में
राज्य सामान्य रकबा 2022-23 2021-22 2020-21
महाराष्ट्र 39.16 41.72 38.74 41.19
गुजरात 22.92 25.04 22.22 22.16
तेलंगाना 18.19 19.98 20.18 21.71
कर्नाटक 3.87 7.39 5.07 4.69
राजस्थान 5.81 6.47 5.99 6.74
हरियाणा 6.84 6.50 6.88 7.37
मध्य प्रदेश 5.84 5.99 6.00 6.23
आंध्र प्रदेश 3.37 4.67 3.56 4.24
पंजाब 2.88 2.48 2.54 3.00
ओडिशा 1.56 2.08 1.88 1.66
कुल 110.74 121.12 113.5 119.24
स्त्रोत – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय