पीएलआई से देसी कंपनियों को मिलेगी मदद

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 9:19 PM IST

दूरसंचार उपकरण निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन-केंद्रित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के मसौदे ने इस योजना के लिए वैश्विक के साथ साथ घरेलू कंपनियों की पात्रता का दायरा बढ़ा दिया है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा तैयार मसौदे में महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य भी निर्धारित किया गया और उम्मीद जताई गई है कि पीएलआई योजना के तहत वैल्यू के संदर्भ में 80 प्रतिशत उत्पादन का निर्यात किया जाएगा।
एरिक्सन, नोकिया हुआवेई या सैमसंग जैसी वैश्विक कंपनियों को अब चार साल में 750 करोड़ रुपये का निवेश (पहले यह 600 करोड़ रुपये था) करने और पहले साल की शुरुआत 1,000 करोड़ रुपये की बिक्री से करनी होगी और धीरे धीरे इसे बढ़ाकर पांचवें वर्ष में 6,000 करोड़ रुपये तक किया जाएगा, जो पहले निर्धारित सीमा का दोगुना है।
जो कंपनियां इन लक्ष्यों को पूरा करेंगी, उनके लिए रियायत 4 प्रतिशत से 6 प्रतिशत बनी रहेगी। पांच साल में कुल बिक्री को लेकर प्रतिबद्घता पर खरी उतरे वाली वैश्विक कंपनियां रियायत के लिए हकदार होंगी और अब बिक्री के संदर्भ में उनके लक्ष्य को 9,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 16,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
भारतीय निवासियों द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व वाली घरेलू कंपनियों के मामले में कुल निवेश की सीमा चार साल में 40 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 60 करोड़ रुपये की गई है। उनके द्वारा पहले वर्ष में बिक्री 100 करोड़ रुपये पर अनुमानित है जो पांचवें वर्ष में बढ़कर 600 करोड़ रुपये हो जाएगी और यह पूर्व की सीमा के मुकाबले दोगुनी है। कंपनियों द्वारा पांच साल में दर्ज की जाने वाली कुल बिक्री शुरू के 1,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर मौजूदा योजना में 1,650 करोड़ रुपये की गई है। उनके लिए प्रोत्साहन उसी स्तर पर बना रहेगा जैसा कि यह वैश्विक कंपनियों के लिए है।
सरकार को पांच साल में नई योजना के तहत 8,000 करोड़ रुपये का निवेश, 181,500 करोड़ रुपये के उत्पादन और 145,200 करोड़ रुपये के निर्यात का अनुमान है।  
रियायतों के लिए कुल खर्च 15,194 करोड़ रुपये पर रहेगा, जो पहले साल में सिर्फ 660 करोड़ रुपये के व्यय के साथ शुरू होगा और पांचवें वर्ष में बढ़कर 5,803 करोड़ रुपये हो जाएगा।
दूरसंचार विभाग के अनुमानों के अनुसार, मौजूदा समय में दूरसंचार क्षेत्र में 10 अरब डॉलर के दूरसंचार उपकरण का इस्तेमाल होता है, जिसमें से सिर्फ 2 अरब डॉलर के उपकरण भारत में निर्मित हैं। दूरसंचार उपकरणों का आयात 2018-19 में 51,308 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था और इस क्षेत्र को दुनिया के अन्य हिस्सों में अपने प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले लागत में बड़े अंतर का सामना करना पड़ा।
मौजूदा समय में वैश्विक दूरसंचार उपकरणों का बाजार 100 अरब डॉलर का है और भारत अपने व्यापक घरेलू बाजार के साथ इस अवसर का लाभ उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

First Published : November 12, 2020 | 11:41 PM IST