अगस्त महीने में भारत से वस्तुओं का निर्यात 6.7 फीसदी बढ़कर 35.1 अरब डॉलर पहुंच गया। निर्यात में वृद्धि वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिका द्वारा कई भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए भारी शुल्क के बावजूद हुई है। अगस्त में वस्तुओं के निर्यात में तेजी आंशिक रूप से पिछले साल अगस्त में 32.9 अरब डॉलर के कम निर्यात आधार की वजह से भी दिख रही है। इस साल जुलाई की बात करें तो देश से 37.24 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया था । इस तरह से अगस्त में जुलाई की तुलना में निर्यात 5.7 फीसदी घटा है।
वाणिज्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत पर शुल्क लगाए जाने के बावजूद अमेरिका में वस्तुओं का निर्यात 7.15 फीसदी बढ़कर 6.86 अरब डॉलर रहा। हालांकि अगस्त में वृद्धि के बावजूद अमेरिका में निर्यात 9 महीने के निचले स्तर पर आ गया। मार्च में अमेरिका में सबसे ज्यादा 10.15 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया गया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि 50 फीसदी शुल्क का प्रभाव सितंबर से दिखेगा।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इसकी आशंका है कि अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क के कारण सितंबर में अमेरिका को होने वाले निर्यात में भारी गिरावट आएगी जिससे कुल निर्यात भी घटेगा और व्यापार घाटे में भी इजाफा होगा।
अगस्त में आयात 10.13 फीसदी घटकर 61.59 अरब डॉलर रहा जिसका मुख्य कारण पिछले साल की तुलना में सोने के आयात में गिरावट रही। इससे भारत का व्यापार घाटा अगस्त में कम होकर 26.29 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल अगस्त में रिकॉर्ड 35.64 अरब डॉलर रहा था। जुलाई 2025 में व्यापार घटा 27.35 अरब डॉलर था। अगस्त में सोने आयात 57 फीसदी घटा और इस दौरान 5.44 अरब डॉलर मूल्य के सोने का आयात किया गया।
अगस्त में सेवाओं के निर्यात में 12.18 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 34.06 अरब डॉलर रहा जबकि 17.45 अरब डॉलर मूल्य की सेवाओं का आयात किया गया जो पिछले साल की समान अवधि से 6 फीसदी अधिक है। सेवाओं के आयात-निर्यात में देश 16.61 अरब डॉलर के अधिशेष में रहा। हालांकि अगस्त के लिए सेवाओं के आयात-निर्यात का आंकड़ा अनुमानित है और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बाद में जारी किए जाने वाले आंकड़ों के आधार पर इसे संशोधित किया जाएगा।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने संवाददाताओं को बताया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद निर्यात अच्छा रहा है। जो यह दर्शाता है कि भारत सरकार की नीतियां कारगर रही हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित सुधार प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देंगे। इसके अलावा सरकार निर्यात में विविधता लाने और कुछ क्षेत्रों पर निर्भरता कम करने पर भी काम कर रही है ताकि आपूर्ति श्रृंखला में बाधा न हो।