मई महीने में उपभोक्ताओं का भरोसा ध्वस्त हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक सर्वे से पता चलता है कि इसके साथ ही उन्हें अगले एक साल तक स्थिति खराब रहने की आशंका है।
रिजर्व बैंक ने अब तक औद्योगिक परिदृश्य का सर्वे जारी नहीं किया है, जिसमें विनिर्माण कंपनियों में ‘घोर निराशा’ की धारणा नजर आती है, जिन्होंने अभी समाप्त हुई चौथी तिमाही और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सभी सेक्टर में बहुत तेज गिरावट की उम्मीद जताई थी।
उपभोक्ता विश्वास सर्वे 5 से 17 मई के बीच देश के 13 प्रमुख शहरों में टेलीफोन से साक्षात्कार के माध्यम से कराया गया, क्योंकि इस समय देशबंदी चल रही है। इस सर्वे में कुल 5,300 परिवारों ने हिस्सा लिया।
रिजर्व बैैंक ने कहा है कि मौजूदा स्थिति सूचकांक (सीएसआई) ऐतिहासिक निचले स्तर पर है और अगले एक साल का भविष्य की उम्मीदों का सूचकांक (एफईआई) में भी तेज गिरावट गर्ज की गई है और यह निराशा के दौर में चले गए हैं।
केंद्रीय बैंक की वेबसाइट पर जारी आरबीआई उपभोग्ता विश्वास सर्वे के मुताबिक, ‘सामान्य आर्थिक स्थिति, रोजगार के परिदृश्य और परिवार की आमदनी को लेकर उपभोक्ताओं की धारणा बहुत तेजी से गिरी है और यह संकुचन क्षेत्र में चला गया है। वहीं अगले एक साल तक सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार के परिदृश्य को लेकर धारणा भी निराशावादी है।’
कुल मिलाकर उपभोक्ता बहुत बचकर खर्च कर रहे हैं। रिजर्व बैंक के सर्वे के मुताबिक, ‘बहरहाल ग्राहक विवेकाधीन खर्चों में तेज कटौती कर रहे हैं और आने वाले साल में भी उन्हें किसी सुधार की उम्मीद नहीं है।’
परिवारों को अगले 3 महीने में महंगाई दर में भी तेज बढ़ोतरी की उम्मीद है। परिवारों के महंगाई दर की उम्मीद का सर्वे 18 प्रमुख शहरों में कराया गया और इसमें 5,761 शहरी परिवारों से प्रतिक्रिया ली गई। इससे पता चलता है कि लोग महंगाई में तेज बढ़ोतरी की भी उम्मीद कर रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने महंगाई व वृद्धि को लेकर अपना अनुमान नहीं पेश किया है, लेकिन उसने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था सिकुड़ेगी। वहीं अनुमान लगाने वाले 22 पेशेवरों ने संकेत दिए हैं कि वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 2020-21 में ऋणात्मक 1.5 प्रतिशत रह सकती है, लेकिन 2021-22 में जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रह सकती है। सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि गिरकरक 2020-21 में ऋणात्मक 1.7 प्रतिशत रह सकती है, जबकि 2021-22 में 6.8 प्रतिशत बढऩे की संभावना है। 2020-21 में वास्तविक निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफईसी) 0.5 प्रतिशत गिरने की संभावना है, लेेकिन 2021-22 में 6.9 प्रतिशत रह सकती है।