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जीडीपी में 20.1 फीसदी वृद्धि

Last Updated- December 12, 2022 | 1:26 AM IST

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था में 20.1 फीसदी की रिकॉर्ड वृद्घि दर्ज की गई। तीव्र वृद्घि के पीछे कम आधार का भी अहम योगदान है। पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 25.4 फीसदी का संकुचन आया था। हालांकि पहली तिमाही में कोविड की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई थीं, बावजूद इसके वृद्घि दर बेहतर रही है। लेकिन 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में यह अब भी 9.2 फीसदी कम है। तिमाही आधार पर अप्रैल-जून, 2021-22 तिमाही में वृद्घि दर बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही से 16.9 फीसदी कम है।
सांख्यिकी विभाग ने भी कहा है कि 2021-22 में वृद्घि दर ऊंची रहने के पीछे कुछ हद तक कम आधार का योगदान है। हालांकि आर्थिक वृद्घि के लिहाज से पहली तिमाही में भारत ब्रिटेन से थोड़ा सा ही पीछे है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था इस अवधि में सालाना आधार पर 22.2 फीसदी बढ़ी थी। 

हालांकि अर्थव्यवस्था का आकार (वर्तमान मूल्य पर जीडीपी) वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही की तुलना में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 2.4 फीसदी बढ़ी।  वित्त मंत्रालय ने कहा कि जीडीपी के आंकड़े अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत देते हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने कहा, ‘भारत की विकास दर अगले साल तक महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंच सकती है।’ 
हालांकि स्वतंत्र विशेषज्ञ इन आंकड़ों से बहुत प्रभावित नहीं हैं। पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि आने वाली तिमाहियों में इस तरह की वृद्घि शायद नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार ने खर्च की बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं लेकिन आंकड़ों में यह नजर नहीं आता है।’ 

कृषि और सहायक गतिविधियों तथा बिजली और संबंधित गतिविधियों को छोड़कर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सभी में 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में गिरावट आई है। उदाहरण के लिए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 49.6 फीसदी उछाल आई है जबकि वित्त वर्ष 2020 की समान अवधि की तुलना में इसमें 4.2 फीसदी की गिरावट रही। इसी तरह निर्माण गतिविधियों में 68.3 फीसदी की शानदार तेजी आई है लेकिन 2020 की समान अवधि की तुलना में यह करीब 15 फीसदी घटा है।
व्यापार, होटल, परिवहन क्षेत्र में 34.3 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में इन क्षेत्रों में 48.1 फीसदी का संकुचन देखा गया था। हालांकि 2019-20 की तुलना में अब भी यह 30.22 फीसदी नीचे है। वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में पहली तिमाही के दौरान महज 3.7 फीसदी की वृद्घि देखी गई, जो वित्त वर्ष 2020 की पहली तिमाही की तुलना में 115 फीसदी कम है।

मांग पक्ष को देखें तो निवेश अभी कोविड के पहले के स्तर तक नहीं पहुंचा है। हालांकि सकल स्थायी पूंजी निर्माण चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 55.3 फीसदी बढ़ा है जिसमें पिछले साल की समान अवधि में 46.6 फीसदी की गिरावट आई थी। लेकिन कोविड से पहले यानी 2019-20 की पहली तिमाही के मुकाबले यह अब भी 17 फीसदी कम है। सेन ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में जो सुधार दिख रहा है वह सरकार की बदौलत नहीं बल्कि निजी क्षेत्रों की वजह से है। आगाी महीनों में निजी निवेश कम हो सकता है।’ निजी अंतिम खपत व्यय पहली तिमाही में 19.3 फीसदी बढ़ा है, जिसमें पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 26.2 फीसदी गिरावट आई थी।

First Published - September 1, 2021 | 1:32 AM IST

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