कंपनियों को गांव ले कर जा रहे हैं युवा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 6:45 AM IST

बड़ी-बड़ी कंपनियां फिर चाहे वह मोबाइल निर्माता हो या कार निर्माता, सभी अपने उत्पादों, वित्तीय योजनाओं के लिए ग्राहकों की खोज में गांवों की ओर भी रुख कर रही हैं।


और इस काम में उनकी मदद कर रहे ही एसआईएफई यानि स्टूडेंट्स इन फ्री इंटरप्राइजेज जो एक गैर-मुनाफे वाली संगठन है। शुक्रवार को मुंबई में इस संगठन की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रतिस्पर्धा आयोजित की गई, जिसके जरिये नए कारोबार प्रारूप और नई कारोबारी प्रतिभाओं की तलाश के काम को अंजाम दिया जाएगा।

गौरतलब है कि यह संगठन इस वक्त एशिया में कुल 11 देशों का प्रतिनिधित्व कर रहा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, चीन समेत अन्य देश शामिल हैं। भारत में इस तरह का काम काफी नया है, लेकिन अमेरिका जैसे देशों में यह करीब तीन दशकों से किया जा रहा है। संगठन के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए इसके चयरमैन केशव आर मुरूगेश का कहना है कि हमारा असल मकसद भारत की युवा शक्ति को मजबूत करना है। इसे अंजाम देने के लिए हम देशभर में अपने प्रोग्राम चला रहे हैं।

यह संगठन दुनिया के विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थियों से एक प्रकार के कारोबार प्रारूप बनवाते हैं जो मुख्यत: ग्रामीण एवं छोटे स्तर के उद्योगों के मद्देनजर होता है जिसे फि र किसी गांव विशेष में चलाया जाता है। मसलन, सुनामी प्रभावित इलाकों की दलित महिलाओं को उद्यमी बनाने की कवायद इसमें शामिल थी। संगठन के एक अधिकारी ने बताया कि इस काम के लिए सिर्फ पहले दर्जे के कॉलेज के छात्रों को ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र के कॉलेज के छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है।

संगठन को वित्तीय सहायता के मुद्दे पर मुरूगेश का कहना है कि इसमें हमारी वित्तीय सहायता केपीएमजी, एचएसबीसी, रिलायंस मनी और प्राइसवाटसर्सकूपर्स जैसे वित्तीय संस्थान करते हैं। इस प्रकार यह काम सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि एसआईएफई अपने नेटवर्क के जरिए 40 देशों के 1500 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की सहायता के जरिए करते हैं।

इस प्रकार, इसके जरिये बड़े -बड़े कॉरपोरेट्स अपने लिए प्रतिभावान कर्मचारियों की खोज तो करते ही हैं अपने लिए नए नए बाजार की तलाश भी जारी रहती है। इसके अलावा सरकार की ओर से मिलने वाली मदद पर उनका मुरूगेश कहना था कि सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।

गौरतलब है कि इन दिनों माइक्रो फाइनैंसिंग समेत गांवों में कारोबार की संभावनाओं पर बैंक भी खासा ध्यान दे रहे हैं,इस फेहरिस्त में फाइनैंशियल इनक्लूजन सबसे बेहतर उदाहरण है, जिसके जरिये गांवों या शहरों के निचले तबके के लोग जो अपनी गाढ़ी कमाई को सही तरीके से इस्तेमाल नही कर पाते हैं उन्हें बैंकिंग के जरिए पूंजी का इस्तेमाल करना सिखाना है।

First Published : June 21, 2008 | 12:16 AM IST