भारत की छठी सबसे बड़ी दवा कंपनी वॉकहार्ट लिमिटेड ने पशु हेल्थकेयर कारोबार बेचने के लिए शेयरधारकों से अनुमति मांगी है। पशु हेल्थकेयर की अनुमानित बिक्री राशि 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
दवा कंपनी अपने कर्ज के पुनर्गठन के लिए बैंकों बात कर रही है। शेयरधारकों को लिखे एक पत्र में कंपनी ने कहा, ‘भावी विकास क्षमता को बरकरार रखने और विस्तार की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए पशु हेल्थकेयर में विनिवेश के लिए एक योग्य निवेशक की दरकार है।’
कंपनी की पशु हेल्थकेयर कारोबार की कुल बिक्री 77 करोड़ रही है। दिसंबर 2008 को समाप्त हुए वर्ष में इस खंड से कंपनी को कर पश्चात 18 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। इस दौरान कंपनी की समेकित बिक्री 3600 करोड़ रुपये रही। एक व्याख्यात्मक वक्तव्य में वॉकहार्ट ने शेयरधारकों से कहा, ‘बोर्ड को यह सूचित किया जाता है कि यह विनिवेश लगभग 150 करोड़ रुपये का होगा।’
मुंबई स्थित कंपनी अपनी बायो टेक्नोलॉजी उत्पाद खंड को भी बंद करने की योजना बना रही है और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय फार्मा कंपनी की तलाश कर रही है। उम्मीद है कि अगले 12 से 18 महीने में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
वॉकहार्ट के अध्यक्ष हबील खोराकीवाला ने बिजनेस स्टैंडर्ड से पहले ही कहा था कि कंपनी दुनिया की 10 बड़ी कंपनियों में से किसी ऐसी कंपनियों की तलाश कर रही है, जो उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कायम रख सके। कंपनी बायोटेक ड्रग के लिए भी किसी सहयोगी को लाइसेंस देने के विकल्प पर विचार कर रही है।
वॉकहार्ट 3400 करोड़ रुपये के बोझ तले दबी हुई है। कंपनी कॉर्पोरेट ऋण पुनर्गठन (सीडीआर) के जरिये इस बोझ को हल्का करने की जुगत में लगी हुई है। सीडीआर प्रक्रिया को पूरा होने में तीन महीने तक का समय लग सकता है। अगर इस जरिये कंपनी को ऋण मिलती है, तो दो से पांच वर्ष की अवधि के लिए कंपनी को राहत मिल सकती है।
वॉकहार्ट के पास भारत में सबसे बड़ी ऑफ पेटेंट ड्रग विकास की प्रक्रिया में है। पिछले कुछ वर्षों में कंपनी ने अपनी बायोटेक रिसर्च पार्क की औरंगाबाद इकाई में 300 से 500 करोड़ रुपये निवेश किया है।
