भारत की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात करने वाली कंपनी विप्रो लिमिटेड ने कहा है कि नॉर्टेल के पास उसका 1 करोड़ 50 लाख डॉलर बकाया है।
यह घोषणा तब की गई है, जब नॉर्टेल को अमेरिका में चैप्टर 11 के तहत दिवालिया घोषित कर दिया गया है। विप्रो ने यह भी कहा है कि उसके कुल आईटी कारोबार का 1.5 फीसदी नॉर्टेल के साथ होता है और यह 4 अरब डॉलर के करीब है।
चैप्टर 11 अमेरिकी दिवालिया संहिता का 11 वां अध्याय है। जो कंपनी कर्ज नहीं चुकाती है, उसकी संरचना इस चैप्टर के तहत न्यायालय के निरीक्षण में फिर से की जाती है। यह कदम उधार देने वाली संस्था के बचाव के लिए उठाया जाता है, ताकि कंपनी के दिवालिया होने पर उसके दावे को अस्थायी तौर पर सुरक्षित किया जा सके।
जब किसी कंपनी को चैप्टर 11 के तहत नामित किया जाता है, तो वह कंपनी काम तो करती है, लेकिन कंपनी के महत्वपूर्ण निर्णय की मंजूरी जज से लेनी होती है। आम तौर पर चैप्टर 11 के तहत दिवालिया कंपनी की परिसंपत्तियों को बेचकर उधार देने वाले की रकम वापस करने का प्रयास किया जाता है।
विप्रो के लिए विश्व बैंक द्वारा सीधे कारोबार पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह दूसरा झटका है। विश्व बैंक ने विप्रो के साथ 2007 से 2011 तक के लिए सीधे कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि विप्रो ने कहा है कि पिछले छह साल में विश्व बैंक के साथ 10 लाख डॉलर से कम का ही कारोबार हुआ है।