हवाई किरायों में एकाएक बढ़ोतरी से सरकार भी चौकन्नी हो गई है। एकाधिकार और गुटबंदी पर निगरानी रखने वाले एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग (एमआरटीपीसी) ने एक साथ सभी एयरलाइंस के किराये में हुए इजाफे की जांच करने का आदेश दिया है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने बुधवार को ही इस बारे में कड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर इस मामले में गुटबंदी सामने आई, तो उसे देखा जाएगा। इसके बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमानन कंपनियों को चिट्ठी भेजकर किरायों में इजाफे का ब्यौरा मांग लिया।
इसी वजह से जेट एयरवेज कल ही अपने किराये पुराने स्तर पर ले आई। एयरलाइंस 14 फरवरी तक ब्यौरा पेश कर देंगी। जेट एयरवेज और किंगफिशर जैसी निजी विमानन कंपनियों के अलावा सरकारी कंपनी एयर इंडिया की पड़ताल भी एमआरटीपीसी कर रहा है।
पटेल ने कल कहा था कि एयर इंडिया ऐसे गुट में शामिल नहीं हो सकती और उसके किराये जेट और किंगफिशर से काफी कम हैं।
बहरहाल एमआरटीपीसी इसे लेकर सख्त है। उसके एक अधिकारी ने बताया, ‘अचानक किराया बढ़ाना और कम किराये की योजनाएं वापस लेना एमआरटीपीसी कानून की धारा 33(1)(डी) और 33(1)(आई) के तहत प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार के दायरे में आता है।’
रिपोर्ट 60 दिन के भीतर जमा कर दी जाएगी और यदि कंपनियां दोषी साबित होती हैं, तो उन्हें किराये वापस लेने पड़ेंगे।
तमाम कंपनियों ने दो दिन पहले ही किरायों में बढ़ोतरी की है। 1 रुपये से 100 रुपये बेसिक किराये की योजनाएं भी उन्होंने खत्म कर दीं। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि गुटबंदी के तहत ही ऐसा किया गया है। इसका सबूत ट्रैवल पोर्टल और वेबसाइट हैं, जिनमें एक ही मार्ग के लिए सभी एयरलाइंस के किराये एक बराबर दिख रहे हैं।
आसमान में धुंध
डीजीसीए ने कंपनियों से मांगी सफाई
14 फरवरी तक एयरलाइंस देंगी ब्यौरा
एमआरटीपीसी को गुटबंदी का शुबहा
कंपनियां दोषी हुईं, तो पहले जैसे होंगे किराये