बीएस बातचीत
प्रमुख वाहन कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एमऐंडएम) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी अनीश शाह ने शैली सेठ मोहिले से बातचीत में कहा कि समूह की नजर शेयरधारकों के लिए बेहतर मूल्य हासिल करने पर बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि राजकोषीय अनुशासन के मोर्चे पर पहले की तरह अधिक सख्ती बरती जाएगी। पेश हैं मुख्य अंश:
परिचालन के मोर्चे पर एमऐंडएम के प्रदर्शन में लगातार सुधार दिखा है लेकिन मूल्यांकन अभी भी पर्याप्त नहीं दिख रहा है। इसमें कब तक तेजी आने की उम्मीद है?
यदि हम देखें कि मार्च के बाद हुआ तो हमारा शेयर मूल्य दोगुना से अधिक हो चुका है। इसे पूंजी आवंटन पर ध्यान केंद्रित किए जाने से रफ्तार मिली है। सैंगयोंग में निवेश न करने संबंधी बोर्ड का निर्णय हमारे निवेशकों के लिए महत्त्वपूर्ण था। इससे हमारे निवेशकों को संकेत दिया गया था कि हम पूंजी आवंटन के बारे में काफी गंभीर हैं। हमने निवेशकों और विश्लेषकों से वादा किया है कि इस साल के अंत तक हम उन कंपनियों पर कार्रवाई करेंगे जो बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रही हैं। हमने जो यात्रा शुरू की है उसे हमारे निवेशकों ने पसंद किया है और वे चाहते हैं कि हम इसे पूरा करें। अगली बार नए सिरे से रेटिंग तब की जाएगी जब हमारी अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियां आय में योगदान करना शुरू करेंगी। दूसरा, घरेलू कारोबार के विकास को रफ्तार देने के लिए तमाम पहल की गई हैं। तीसरा, हमने भविष्य के लिए विकास को रफ्तार देने वाले महत्त्वपूर्ण कारकों की पहचान की है जिन्हें हम ’10 रत्न’ कहते हैं।
विदेशी सहायक कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए आपने क्या पहल की है?
हमने तीन महीने पहले एक अभ्यास शुरू किया था। हम अपने अंतरराष्ट्रीय सहायक कंपनियों का विस्तृत विश्लेषण कर रहे हैं और यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि वृद्धि को उससे कितनी रफ्तार मिल सकती है और क्या उसमें 18 फीसदी इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) देने की क्षमता है? हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वे अपने बाजार, उत्पाद एवं चैनल की रणनीतियों में बदलाव कर सकती हैं। सहायक कंपनियों को अपना प्रदर्शन और लाभप्रद रास्ता दिखाना होगा।
क्या यह मान लेना उचित होगा कि समूह अब पहले की तरह अधिग्रहण नहीं करेगा?
एमऐंडएम पिछले 17 वर्षों से निफ्टी पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला शेयर रहा है। उसका प्रदर्शन उच्च राजकोषीय अनुशासन से प्रेरित था। भारत दोशी और उदय फड़के जैसे दिग्गज लोगों ने अनुशासन को स्थापित किया था। हम उसी राह पर लौटना चाहते हैं। अधिग्रहण तब भी किए गए थे। इसलिए हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम अधिग्रहण नहीं करेंगे लेकिन राजकोषीय अनुशासन का स्तर पहले की तरह उच्च होगा।
क्या यह कहना उचित होगा कि जब आप अधिग्रहण करेंगे तो उससे मौजूदा करोबार का विस्तार होगा न कि विविधीकरण?
बिल्कुल, आप सही कह रहे हैं कि अधिग्रहण करते समय हम विविधता की उम्मीद नहीं करते हैं। अभी हमारे पास 10 कारोबार हैं और हमारा मानना है कि उनमें वृद्धि करने की काफी संभावनाएं मौजूद हैं। इसलिए फिलहाल हम विविधता लाने के लिए उत्सुक नहीं हैं। हमारे पास पहले से ही एक विविध कारोबार है। हमें इसे बढ़ाने की जरूरत है।