भारत में पहला यूनिकॉर्न (1 अरब डॉलर के कारोबार वाला स्टार्टअप) तैयार होने के एक दशक बाद यह दर्जा हासिल करने वाले 44 स्टार्टअप ने भारतीय स्टार्टअप परिवेश में 106 अरब डॉलर का मूल्य सृजित किए हैं। शुरुआती चरण के वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड ओरियस वेंचर पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सालाना 14 लाख से अधिक नौकरियां सृजित करने के बाद भारतीय स्टार्टअप को यूनिकॉर्न के पड़ाव तक पहुंचने में औसतन आठ साल लग गए।
यहां ध्यान देने की बात यह है कि अब स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने में लगने वाला समय कम हो रहा हैक्योंकि पूर्व संस्थापक अथवा स्टार्टअप में अनुभवी संस्थापक मैदान में उतर रहे हैं। वर्ष 2015 से पहले स्थापित होने वाले नौकरी डॉट कॉम और मेकमाईट्रिप जैसे स्टार्टअप को यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने में 14 साल से अधिक का समय लग गया जबकि जोमैटो, फ्लिपकार्ट और पॉलिसी बाजार (2007-2009) जैसे स्टार्टअप को यह सफर तय करने में लगभग 8.7 साल लगे। नायिका और ओयो (2012-13) को यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल करने में 5.8 साल से भी कम समय लगा जबकि उड़ान और ओला इलेक्ट्रिक (2016-17) को यह दर्जा हासिल करने में महज तीन साल लगे। ओरियस वेंचर पार्टनर्स के मैनेजिंग पार्टनर रेहान यार खान ने कहा, ‘इनमें से अधिकतर स्टार्टअप प्रौद्योगिकी से लैस हैं और यह 21वीं शताब्दी और इससे पहले के यूनिकॉर्न के बीच उल्लेखनीय अंतर है। ओला, ध्रुव और फार्मईजी के साथ शुरुआती दिनों से ही जुड़े होने पर हमें गर्व है और अगले हम कुछ वर्षों में तीन से पांच अन्य यूनिकॉर्न का हिस्सा बनने का इंतजार कर रहे हैं।’
फिनटेक क्षेत्र में यूनिकॉर्न की संख्या सबसे अधिक है जबकि खुदरा और सॉफ्टवेयर एज अ सर्विस दूसरे पायदान पर हैं। अन्य क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स, डेटा एनालिटिक्स, ट्रैवल, फूड और गेमिंग शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिकॉर्न के लगभग 86 फीसदी संस्थापक इंजीनियर हैं और उनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से संबंधित इंजीनियरों की संख्या सबसे अधिक है।
