देश में सैटेलाइट कम्युनिकेशन ऑपरेटरों के पिछले दरवाजे से प्रवेश को रोकने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटरों ने अंतरिक्ष विभाग को पत्र लिखा है। अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने ट्वीट किया था कि नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद अगले साल उनकी कंपनी स्टारलिंक इंटरनेेट सर्विसेज भारत में कदम रख देगी, उसके बाद दूरसंचार ऑपरेटरों ने यह पत्र लिखा है।
मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने हाल ही में अमेरिका में अपने बीटा लान्च फेज के तहत हाई-स्पीड इंटरनेट की पेशकश शुरू की है, जिसकी योजना 40,000 लो ऑर्बिट सैटेलाइट का एक समूह तैयार करने की है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से जारी मसौदा स्पेक्ट्रम नीति पर प्रतिक्रिया देते हुए सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) ने कहा कि गैर सरकारी निजी इकाइयां (एनजीपीई), जिन्हें भारत मेंं संचार सेवा मुहैया कराने के लिए स्पेस सिस्टम स्थापित करने की अनुमति दी गई है, उन्हें भी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) की तरह ही लाइसेंसिंग के तहत डाला जाना चाहिए, जो एक तरह की ही सेवाएं मुहैया करा रही हैं। सीओएआई ने कहा कि इससे काम करने का समान अवसर मिल सकेगा। उसका कहना है कि एनजीपीई को भी स्पेक्ट्रम सिर्फ नीलामी के माध्यम से मिलना चाहिए, जिस तरह से टेलको को मिला है, न कि मसौदा नोट में सुझाव दिए गए तरीके से दूरसंचार विभाग (डीओटी) को अधिकार मिलना चाहिए। दूसरे मामले में स्पेक्ट्रम की कीमत बहुत मामूली होगी।
साथ ही डीओटी के पूरे स्पेक्ट्रम का मालिक होने के कारण एनजीपीई को उससे टेलीकॉम लाइसेंस लेना चाहिए और उसे अंतरिक्ष की संपत्ति के अधिग्रहण या इंटरनैशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन में जाने से पहले पारदर्शी तरीके से स्पेक्ट्रम मिलना चाहिए।
दूरसंचार कंपनियों ने डीओटी को चेताया है कि लाइसेंस जरूरी है क्योंकि इंटरनैशनल सैटेलाइट लॉबी कई एनजीपीई स्थापित कर सकती है और अनुचित तरीके से सैलेटाइट के लिए फाइलिंग कर सकती है, जो भारत के बाजार की मांग के अनुपात से इतर होगा और उसके बाद मिलीमीटर वेव बैंड्स (भविष्य के स्पेक्ट्रम बैंड) के इलाकाई इस्तेमाल से संरक्षण का दावा कर सकती हैं, जिन्हें आईएमटी सेवाओं के लिए चिह्नित किया गया है।
दूरसंचार कंपनियों ने डायरेक्ट टु होम (डीटीएच) ऑपरेटरों का मामला उठाते हुए कहा है कि वे क्षमता सीमित होने की समस्या से जूझ रहे हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ नियत सैटेलाइट सेवा बैंड पर परिचालन की अनुमति दी गई है। ऐसे में उन्होंने अनुरोध किया है कि ब्राडकास्ट सैटेलाइट सर्विसेज बैंड भी उनके लिए खोला जाना चाहिए। डीटीएच कारोबारियों को भारी सैटेलाइट क्षमता की जरूरत होती है, ऐसे में उन्हें अपने सैटेलाइट की अनुमति दी जानी चाहिए, जो उनके कारोबारी जरूरतों के मुताबिक हो।
वैश्विक रूप से सैटेलाइट आधारित ब्राडबैंड सेवाएं बढ़ रही हैं। भारती एयरटेल ने वैश्विक कम्युनिकेशन कंपनी वनवेब में 50 करोड़ डॉलर में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी ली है। भारतीय के सीईओ सुनील मित्तल ने घोषणा की थी कि 2022 की शुरुआत से भारत में सेवाओं की पेशकश की जाएगी और यह देश के दूरस्थ इलाकों जैसे अंडमान निकोबार, राजस्थान के कुछ इलाकों और मध्य प्रदेश के वन क्षेत्रों के लिए उपयोगी होगी।
