सरकार के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस ओर रक्षा उपकरण निर्माता कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (एचएएल) का शेयर गुरुवार को दिन के कारोबार में करीब 14 प्रतिशत चढ़ गया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के लिए कंपनी से 83 हलके लड़ाकू विमान (एलसीए) ‘तेजस’ की खरीदारी को मंजूरी दिए जाने के बाद इस शेयर में तेजी आई है।
जहां इस ऑर्डर से कंपनी की दीर्घावधि विकास संभावनाएं मजबूत हुई हैं, वहीं रक्षा उपकरण का आयात घटाने के लिए सरकारी प्रयासों से भी भविष्य एचएएल के लिए मजबूत ऑर्डर प्रवाह देखा जा सकता है। उचित मूल्यांकन, पूंजी पर मजबूत प्रतिफल और लगातार लाभांश भुगतान इस शेयर के लिए अन्य सकारात्मक बदलाव हैं।
सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने बुधवार की रात 1,202 करोड़ रुपये की डिजाइन एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास लागत की मंजूरी के साथ 73 एलसीए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों और 10 एलसीए तेजस एमके-1 टे्रनर विमानों की 45,696 करोड़ रुपये में खरीदारी को स्वीकृति प्रदान की।
पीबीआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘एचएएल द्वारा हलके लड़ाकू विमान का निर्माण आत्मनिर्भर भारत पहल को और मजबूत बनाएगा तथा देश में रक्षा उत्पादन और रक्षा उद्योग के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देगा।’
सीसीएस की यह मंजूरी मंत्रालय द्वारा एचएएल से 83 एलसीए की खरीदारी के लिए हरी झंडी दिखाए जाने के 10 महीने बाद दी गई है। कंपनी द्वारा भारतीय वायु सेना को पहला एमके-1ए सौदे पर हस्ताक्षर के तीन साल बाद सौंपे जाने की संभावना है और शेष विमानों की डिलिवरी वर्ष 2028-29 तक की जाएगी।
रिलायंस सिक्योरिटीज के सहायक उपाध्यक्ष अराफात सैयद ने कहा, ‘यह अनुबंध एचएएल के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर सामने आया है और इससे कंपनी की ऑर्डर बुक 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकती है।’
एचएएल विविध उत्पाद समावेश के साथ घरेलू वैमानिकी उद्योग में अग्रणी कंपनी है और वह भारत के रक्षा बेड़े में 80 प्रतिशत की सहायता करती है। विश्लेषकों का कहना है कि भविष्य में सरकार ने रक्षा उत्पादों के लिए आयात पर निर्भरता घटाने की योजना बनाई है जिससे एचएएल को फायदा होने की संभावना है।
मेहता ने अनुमान जताया है कि अगले 7-8 वर्षों के दौरान 50 प्रमुख रक्षा प्रणालियों के लिए 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के कुल ऑर्डर प्रवाह से घरेलू पीएसयू और निजी कंपनियों दोनों के लिए व्यापक अवसर मिलेंगे।
यह सब कंपनी की ऑर्डर बुक के लिए सकारात्मक है। इस ऑर्डर बुक में पिछले तीन साल में बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और यह वित्त वर्ष 2017 के 64,613 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 52,965 करोड़ रुपये रह गई थी, क्योंकि रक्षा व्यय कमजोर बना रहा। इसके परिणामस्वरूप, एचएएल की निर्माण बिक्री वित्त वर्ष 2016 के 9,800 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2020 में 8,500 करोड़ रुपये रह गई।
तिमाही आधार पर एचएएल की ऑर्डर बुक में वित्त वर्ष 2021 में कुछ वृद्घि देखी गई है।
