व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में हुई जोरदार कमी से वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान टाटा मोटर्स के नकद प्रवाह में 500 करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान है। कंपनी के कुल राजस्व में व्यावसायिक वाहनों की हिस्सेदारी 60 फीसदी है।
मालूम हो कि टाटा मोटर्स आगामी 30 जनवरी को मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही का नतीजा घोषित करने वाली है। बताया जा रहा है कि नकद भंडार में हुई कमी से कंपनी निवेश की अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार कर रही है।
कंपनी अगले तीन साल में विस्तार योजनाओं पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाली थी। इसके अलावा, कंपनी को जगुआर और लैंड रोवर की खरीदारी के लिए बाजार से धन उगाहने में भी समस्याएं आ रही हैं।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग के मुताबिक, नकद का प्रवाह प्रति शेयर 37.6 रुपये रहने का अनुमान है। उल्लेखनीय है कि 2008-09 के दौरान टाटा मोटर्स के करीब 45 करोड़ प्राथमिक शेयर होंगे। मौजूदा वित्त वर्ष में अनुमान है कि नकदी प्रवाह 1,692 करोड़ रुपये का रहेगा।
लेकिन ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल नकद प्रवाह का औसत अनुमान करीब 1,700 करोड़ रुपये का है। 2007-08 के दौरान नकदी प्रवाह 2,187 करोड़ रुपये का रहा था।
एक विश्लेषक के मुताबिक, ‘मंदी ने व्यावसायिक वाहनों की मांग पर असर डाला है। इससे कंपनी का नकदी प्रवाह तेजी से नीचे गिरा है।’ मालूम हो कि कंपनी के व्यावसायिक वाहनों की बिक्री दिसंबर 2008 में घटकर 10,212 इकाई तक चली गई।
2007 की तुलना में इसकी बिक्री 64 फीसदी कम रही है। 2008 में अप्रैल से दिसंबर तक टाटा मोटर्स ने जहां कुल 1.95 लाख व्यावसायिक वाहनों की बिक्री की, वहीं 2007 की समान अवधि में कंपनी ने 18 फीसदी अधिक वाहन बेचे।
कार को शामिल करते हुए, अप्रैल-दिसंबर 2008 के बीच कंपनी ने जहां कुल 3.45 लाख गाड़ियों की बिक्री की, वहीं इसके साल भर पहले 15 फीसदी अधिक वाहन बेचे गए। अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म मैक्वेरी रिसर्च के मुताबिक, सितंबर से दिसंबर 2008 की तिमाही में कंपनी को नुकसान भी हो सकता है।
यदि यह हुआ तो पिछले सात साल में ऐसा पहली बार होगा। मूडी और स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने कंपनी के वाहनों की बिक्री में कमी देखते हुए पिछली तिमाही में कंपनी की कर्ज रेटिंग्स मे कटौती कर दी थी।
विश्लेषक इस तथ्य को काफी चुनौतीपूर्ण मान रहे हैं कि जब कंपनी दुनिया की सबसे सस्ती कार लॉन्च करने जा रही है, तभी इसका नकदी प्रवाह चिंताजनक हो गया है। इतना ही नहीं इस दौरान कंपनी को 2.3 अरब डॉलर का अंतरिम लोन भी चुकता करना है।
यह कर्ज जगुआर और लैंड रोवर के अधिग्रहण के लिए ली गई है। दुनिया भर में पूंजी बाजार के जमीन ढूंढ़ने से कंपनी को छोटी अवधि के लोन चुकाने के लिए फंड उगाहने में अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
कर्ज उगाहने के लिए कंपनी ने 1 दिसंबर को एक जमा योजना की शुरुआत की और एक महीने में 175 करोड़ रुपये जमा कर लिए।
इस तरह की उगाही करने के लिए कंपनी की वैधानिक सीमा 2,700 करोड़ रुपये तय है। कंपनी इसके जरिए कितना धन उगाहेगी, इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है।