टाटा मोटर्स ने पहली बार डिफ्रेंशियल वोटिंग शेयरों को जारी कर शेयर बाजार को मुश्किल में डाल दिया है।
कंपनी ने 1,957 करोड़ रुपये के डिफ्रेंशियल वोटिंग शेयर जारी किए थे, जिसमें से 305 रुपये प्रति शेयर की दर से 1,650 करोड़ रुपये के शेयर कंपनी के प्रमोटरों ने, 250 करोड़ रुपये के आईएफसीआई ने और 50 करोड़ रुपये के शेयर जेएम फाइनैंशियल ने खरीदे।
अब शेयर बाजार के लिए इन शेयरों के लिए निवेशक तलाशना थोड़ा मुश्किल काम हो सकता है, जब बाजार में पहले से ही 190 रुपये के लगभग कारोबार करते टाटा मोटर्स के शेयर मौजूद हैं। सूत्रों का कहना है कि न तो प्रमोटर और न ही आईएफसीआई अपने शेयरों को घाटे पर बेचेने को राजी होंगी।
गौरतलब है कि इन दोनों के पास कुल मिलाकर कंपनी के 95 प्रतिशत डिफ्रेंशियल शेयर मौजूद हैं। उनका कहना है, ‘इसलिए बाजार में कौन शेयर बेचेगा और किस कीमत पर यह अहम मुद्दे हैं।’ शेयरों की यह नई श्रेणी इस सप्ताह सूचीबध्द होनी है।
एक इन्वेस्टमेंट बैंकर का कहना है, ‘बाजार में शेयर के ठीक प्रवाह की कमी में शेयर बाजार में नए शेयरों की कीमत किस तरह से तय की जाएंगी, क्योंकि मौजूदा वोटिंग शेयरों के बेंचमार्क पर तो इन्हें तय नहीं किया जा सकता।’
कंपनी ने 305 रुपये, जिसमें 295 रुपये प्रीमियम शामिल है पर 6.42 करोड़ डिफ्रेंशियल वोटिंग शेयर जारी किए थे और इसी संख्या में कंपनी ने 340 रुपये प्रति शेयर की दर से भी शेयर जारी किए थे। टाटा मोटर्स के प्रमोटरों ने सभी वोटिंग शेयर खरीद लिए, जिसके कारण कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़कर 42.3 प्रतिशत से भी अधिक हो गई।
डिफ्रेंशियल वोटिंग शेयरों के मामले में इस बात के बावजूद कि जेएम फाइनैंशियल ने गैर-प्रमोटरों के 1,327 करोड़ रुपये के हिस्से को खरीदने की बात कही थी, प्रमोटरों ने मंजूरी मिले हुए 633 करोड़ रुपये के शेयरों के साथ 1,000 करोड़ रुपये से अधिक शेयर ले लिए। आईएफसीआई ही एक ऐसा बड़ा संस्थान था, जिसने 250 करोड़ रुपये के डिफ्रेंशियल शेयर खरीदे।
टाटा मोटर्स के वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले शुक्रवार को निवेशकों के एक सम्मेलन में कहा था कि डिफ्रेंशियल वोटिंग शेयरों के लिए मताधिकार (10 शेयरों के लिए 1 मत) की व्यवस्था के बाद कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 43 प्रतिशत हो गई है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम छुपाने की शर्त पर बताया, ‘यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के नए प्रयोग तक हो रहे हैं, जब दुनियाभर के सभी बाजारों में मंदी का दौर चल रहा है।’
एमऐंडएम की बिक्री में मंदी
एसयूवी बनाने वाली देश की अग्रणी कंपनी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के लिए बिक्री के लिहाज से अक्टूबर का महीना अच्छा नहीं रहा हैं। अक्टूबर के दौरान कंपनी के वाहनों की बिक्री में 18 फीसदी की गिरावट आई है।
अक्टूबर में कंपनी ने भारत और विदेशों में कुल 20,282 वाहन बेचे। इनमें कार, एसयूवी, ट्रक और तिपहिया वाहनों की बिक्री के आंकड़े भी शामिल हैं। जबकि पिछले साल अक्टूबर में कंपनी ने 24,652 वाहनों की बिक्री की थी। इस दौरान कंपनी का निर्यात भी 65 फीसदी घटकर 383 इकाई हो गया।