तेल और गैस उत्पादन के मामले में देश की सबसे बड़ी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने पिछले वित्त वर्ष में कच्चे तेल को वर्ष 2006-07 के मुकाबले 19 फीसद अधिक कीमत पर बेचा।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में उबलती तेल की कीमतों ने इसके बाद भी उसके बहीखाते पर जबर्दस्त चोट दी। तेल के उत्पादन पर आने वाली लागत में इसी दरम्यान तकरीबन 35 फीसद का इजाफा हुआ, जो कंपनी के लिए काफी मुश्किल भरा पहलू रहा।
ओएनजीसी मुनाफा कमाने वाली कंपनियों में अव्वल रही है, लेकिन लागत में हो रहे इजाफे से कंपनी पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है। ओएनजीसी और ऑयल इंडिया सब्सिडी की प्रणाली के तहत तेल रिफाइनिंग कंपनियों को रियायती दाम पर कच्चा तेल बेचती हैं। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी को असल में 85.54 डॉलर प्रति बैरल की कीमत पर कच्चा तेल बेचना चाहिए था, लेकिन ओएनजीसी ने केवल 52.90 डॉलर प्रति बैरल पर तेल बेचा।
रुपया भी दुश्मन
अगर रुपये में बात की जाए, तब तो कीमत में इजाफा और भी कम रहा। एक बैरल तेल के बदले ओएनजीसी को पिछले वित्त वर्ष में जो कीमत मिली, वह 2006-07 के मुकाबले महज 6 फीसद ज्यादा थी। इसकी वजह रुपये का मजबूत होना रहा, जिसकी कीमत उस दौरान डॉलर के मुकाबले 11 फीसद बढ़ गई। ओएनजीसी तमाम कंपनियों से भुगतान रुपये में लेती है।
ओएनजीसी के वित्तीय निदेशक डी के सर्राफ ने बताया, ‘उत्पादन लागत जिस रफ्तार से बढ़ रही है, वह तेल कंपनियों से मिलने वाली कीमत में इजाफे की दर से बहुत ज्यादा है। इसके अलावा सब्सिडी के रूप में दी जाने वाली रियायतें भी हम पर भारी पड़ रही हैं।’
ओएनजीसी को फिलहाल तेल के प्रत्येक बैरल की बिक्री पर लगभग 10 डॉलर का मुनाफा हो रहा है। उसके उलट विदेशी तेल कंपनियां एक बैरल तेल की बिक्री से करीब 70 डॉलर का मुनाफा कमा रही हैं। कंपनी को वित्त वर्ष 2006-07 में 15,643 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। कंपनी इस साल भी कुछ ऐसे ही मुनाफे की उम्मीद कर रही है। लेकिन विश्लेषकों के मुताबिक कंपनी के लिए इस सफलता को दोहराना मुश्किल ही है।
ओएनजीसी ने वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान कच्चे तेल पर लगभग 22,000 करोड़ रुपये की छूट दी थी। सरकार ने कहा कि इस साल कंपनी लगभग 38,000 करोड़ रुपये की छूट देगी। ब्राकिंग फर्म के विश्लेषक ने कहा, ‘अगर तेल के दाम और बढते हैं तो इस रकम में भी इजाफा हो सकता है। हम लोगों को ओएनजीसी के शेयर खरीदते वक्त सावधानी बरतने की सलाह देंगे।’
गिर गए शेयर
साल की शुरुआत में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद ओएनजीसी के शेयरों की कीमत में गिरावट आई थी। इससे सब्सिडी में ओएनजीसी का हिस्सा बढ़ गया था। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण तेल उत्पादन की कीमत में भी बढ़ोतरी हो रही है।
सर्राफ ने कहा, ‘कुछ समय पहले हम ऑफशोर रिग को 60 लाख रुपये रोजाना के हिसाब से किराये पर लेते थे। लेकिन अब इसका किराया 4 गुना बढ़कर 2 करोड़ 40 लाख रुपये रोजाना हो गया है।’ तेल की बढ़ती कीमतों का फायदा उठाने के लिए ज्यादा से ज्यादा कंपनियां अब तेल उत्खनन के क्षेत्र में आ रही हैं। इस वजह से श्रमिक और बाकी सुविधाएं भी महंगी हो गई हैं।
कंपनी को गैस उत्खनन के क्षेत्र में भी नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2006-07 में कंपनी को गैस की बिक्री पर लगभग 800 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
ओएनजीसी पर सब्सिडी की पड़ रही है मार
वर्ष सकल मूल्य शुद्ध मूल्य रियायत
2003-04 29.96 26.46 3.50
2004-05 43.20 37.97 5.41
2005-06 59.66 42.34 17.32
2006-07 66.33 44.22 22.11
2007-08 85.54 52.90 32.64