तमाम गुल खिलाने वाली सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज ने कंपनी कानून की धज्जीयां उड़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
हैदराबाद में कंपनी रजिस्ट्रार के मुताबिक मायटास समूह की दोनों कंपनियों के अधिग्रहण का प्रस्ताव पेश करते समय सत्यम ने कानून के अहम प्रावधानों का उल्लंघन किया था।
सत्यम के तत्कालीन चेयरमैन रामलिंग राजू ने धोखाधड़ी की बात को 7 जनवरी के दिन जब स्वीकार किया था, उससे कुछ पहले ही कंपनी मामलों के विभाग के पास रजिस्ट्रार ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी।
शेयरधारकों के ऐतराज की वजह से सत्यम को मायटास अधिग्रहण की पेशकश वापस लेनी पड़ी थी। राजू ने बाद में कहा कि बहीखातों में नकदी का प्रवाह बरकरार रखने की कोशिश के तहत ऐसा किया गया था।
लेकिन रजिस्ट्रार की रिपोर्ट की मानें, तो मायटास प्रॉपर्टीज में 100 फीसदी और मायटास इन्फ्रा में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के मामले में सत्यम बोर्ड ने कंपनी कानून की धारा 372 ए का उल्लंघन किया था।
इस धारा की उपधारा 1 में कहा गया है कि कोई भी कंपनी खुद से संबंधित किसी भी अन्य कंपनी में शेयरों की खरीद ऐसी हालत में नहीं कर सकती है, जब सौदे की धनराशि अधिग्रहण करने वाली कंपनी की शेयर पूंजी और मुक्त नकदी भंडार के 60 फीसदी हिस्से या मुक्त नकदी भंडार के 100 फीसदी से ज्यादा हो।
ऐसा करने के लिए कंपनी को एक आम बैठक बुलाकर एक विशेष प्रस्ताव के जरिये शेयधारकों की मंजूरी भी लेनी पड़ती है। कानून के मुताबिक इस तरह का प्रस्ताव केवल पोस्टल बैलट के जरिये ही पारित हो सकता है। साथ ही रजिस्ट्रार को भी इसकी पहले से ही जानकारी देना जरूरी है।
रजिस्ट्रार की रिपोर्ट के मुताबिक सत्यम 788 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश शेयरधारकों की अग्रिम मंजूरी के बिना नहीं कर सकती थी। लेकिन सत्यम के बोर्ड ने 7,920 करोड़ रुपये में मायटास को खरीदने के राजू के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी।
रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि कंपनी कानून की धारा 293 के तहत सत्यम ने मायटास इन्फ्रा और मायटास प्रॉपर्टीज के अधिग्रहण के लिए जरूरी किसी भी तरह को कोई प्रस्ताव नहीं पारित किया था।
जहां तक कंपनी के प्रवर्तकों को फायदा पहुंचाने वाले लेन-देन की बात है तो इस बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्यम की 2007-08 की सालाना रिपोर्ट में सहायक कंपनियों में निवेश, परिसंपत्तियों की खरीद और दूसरे कई तरह के वित्तीय लेन-देन के साक्ष्य मौजूद हैं।
अदालत तैयार
देश के प्रमुख न्यायधीश के जी बालकृष्णन पूरी तरह आश्वस्त हैं कि देश का न्यायिक ढांचा कॉर्पोरेट धोखाधड़ी वाले मामलों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
धोखाधड़ी करने वाले कारोबारी बेहतरीन वकीलों की सेवाओं के जरिये अपने मामले को मजबूत तो बना लेते हैं। लेकिन रुझान बदल रहे हैं। कॉपोरेट धोखाधड़ी के मामले अपेक्षाकृत कुछ जटिल होते हैं।
आ गई एस्सार
एस्सार समूह की आउटसोर्सिंग इकाई एजिस बीपीओ ने सत्यम की बीपीओ इकाई खरीदने का प्रस्ताव दिया है। एजिस बीपीओ ने सत्यम के निदेशक मंडल को इस सिलसिले में औपचारिक तौर पर एक पत्र भेजा है।
पत्र में सत्यम की बीपीओ इकाई खरीदने की इच्छा जताई गई है। सत्यम के निदेशक मंडल के निर्णय के बाद ही ऐजिस बीपीओ आर्थिक प्रस्ताव पेश करेगी।