घरेलू कृषि रसायन कंपनियों पर अंडरवेट नजरिया अपनाने और वैश्विक दांव को पसंद करने के बाद ब्रोकरों का मानना है कि देसी कृषि रसायन कंपनियां आगामी तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन कर सकती हैं।
घरेलू फसल सुरक्षा कंपनियों को ऊंची इन्वेंट्री लागत, मूल्य निर्धारण दबाव, जेनेरिक सेगमेंट में कम प्राप्तियों की वजह से पिछले करीब डेढ़ साल के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
पिछली तिमाहियों के कुछ गतिरोध का असर वित्त वर्ष 2024 की अप्रैल-जून तिमाही में भी दिखा और इस क्षेत्र के लिए संपूर्ण राजस्व एवं परिचालन मुनाफा 12 प्रतिशत और 27 प्रतिशत नीचे आ गया।
नुवामा रिसर्च का मानना है कि मॉनसून की कमजोर शुरुआत, अल नीनो के शुरुआती डर, कच्चे माल की घटती कीमतों और चीन से डम्पिंग से इन्वेंट्री पर प्रभाव पड़ा है। इसकी वजह से नुकसान और मार्जिन दबाव में इजाफा हुआ है।
ब्रोकरेज के रोहन गुप्ता ने घरेलू कृषि व्यवसाय कंपनियों को पसंद किया है। उनका कहना है, ‘हमें विश्वास है कि घरेलू कृषि उत्पाद कंपनियां आगामी तिमाहियों में अच्छी तेजी दर्ज करेंगी, क्योंकि उन्हें जुलाई और अगस्त में मॉनसून में तेजी आने से मदद मिलेगी। उत्पाद कीमतों में सुधार से हमें मार्जिन भी धीरे धीरे सुधरने की उम्मीद है।’
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज का भी मानना है कि भारत में हालात बेहतर रहेंगे, क्योंकि वैश्विक बाजारों में सुधार की गति धीमी है।
अभिजीत अकेला के नेतृत्व में इस ब्रोकरेज के विश्लेषकों का कहना है, ‘आगामी परिदृश्य के संदर्भ में बात की जाए तो अनुमान है कि भारतीय कृषि रसायन बाजार वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में वैश्विक बाजारों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।’
वैश्विक कृषि उत्पाद खंड घरेलू बाजार की तुलना में खराब हालत में बना हुआ है और बहुराष्ट्रीय कृषि रसायन कंपनियों ने कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए अपने राजस्व अनुमान घटाए हैं। जर्मनी की बेयर एजी ने अपने फसल सुरक्षा व्यवसाय के लिए कैलेंडर वर्ष 2023 का राजस्व अनुमान मई की 1.5 प्रतिशत वृद्धि से घटाकर अगस्त में 5 प्रतिशत की गिरावट कर दिया। ग्लाइफॉस्फेट की बिक्री में गिरावट की वजह से कंपनी ने इस अनुमान में कटौती की है। ग्लाइफॉस्फेट की बिक्री जून तिमाही में बेयर एजी के लिए 61 प्रतिशत घट गई थी।
मूल्य निर्धारण समस्याओं, इन्वेंट्री की रिटेल चैनल डीस्टॉकिंग और प्रमुख बाजारों में शुष्क मौसम की वजह से मांग में आई गिरावट के कारण इस उत्पाद की बिक्री प्रभावित हुई। अमेरिका में मुख्यालय वाली एफएमसी कॉरपोरेशन का मानना है कि कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही में इन्वेंट्री में कमी की वजह से बिक्री पर दबाव पड़ सकता है। ऊंची इन्वेंट्री लागत तथा इंतजार करो और देखो की रणनीति अपनाने से ऑर्डरों में विलंब को बढ़ावा मिला है।
कंपनी का मानना है कि वैश्विक फसल सुरक्षा बाजार कैलेंडर वर्ष 2023 में ऊंचे एक अंक तक गिरकर कमजोर दो अंक में रह सकता है, जो कमजोर एक अंक की गिरावट के पिछले अनुमान के मुकाबले उपयुक्त है। अन्य अमेरिकी कृषि कंपनी कॉर्टेवा एग्रीसाइंस ने उत्तर अमेरिकी बाजार में कमजोर बिक्री और लैटिन अमेरिका में सूखे के हालात की वजह से खरीदारी में विलंब को ध्यान में रखते हुए अपना कैलेंडर वर्ष 2023 का राजस्व वृद्धि अनुमान घटाया किया है। कैलेंडर वर्ष 2023 की दूसरी छमाही सुस्त रहने का अनुमान है और कैलेंडर वर्ष 2024 में सुधार देखा जा सकता है।
आईआईएफएल रिसर्च का मानना है कि भारतीय कंपनियों में (यूपीएल, अनुपम रसायन और रैलिस) अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय इन्वेंट्री वृद्धि और प्रमुख जेनेरिक ऐक्टिव इंग्रिडिएंट पर मूल्य निर्धारण दबाव की वजह से चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि जहां पीआई इंडस्ट्रीज के कस्टम सिंथेसिस और निर्माण व्यवसाय ने मजबूत राजस्व वृद्धि दर्ज की, वहीं प्रबंधन सतर्क बना हुआ है, क्योंकि इस उद्योग को वैश्विक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
निर्यात-केंद्रित कंपनियों में शामिल शारदा क्रॉपकेप ने बिक्री और सकल लाभ में 23 प्रतिशत और 73 प्रतिशत का इजाफा दर्ज किया। कंपनी परिचालन स्तर पर 69 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज करने वाली एकमात्र फसल सुरक्षा कंपनी थी। कमजोर वैश्विक परिदृश्य का असर शेयर कीमतों पर भी दिखा है। जहां यूपीएल का शेयर हाल में अपने 52 सप्ताह के निचले स्तर पर आा है और जून के ऊंचे स्तरों से 16 प्रतिशत गिर चुका है, वहीं शारदा क्रॉपकेप जुलाई के ऊंचे स्तरों से करीब एक-चौथाई कमजोर हो चुका है।
पहली तिमाही में, घरेलू फसल सुरक्षा राजस्व पीआई, यूपीएल, बीएएसएफ और रैलिस के लिए दबाव में रहा। बारिश में सुधार के साथ दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत दिख रहे हैं और इससे कृषि रसायन क्षेत्र में खपत बढ़ सकती है।
नुवामा रिसर्च ने सुस्त वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए निवेशकों को यूपीएल और शारदा क्रॉपकेप जैसी वैश्विक कंपनियों से परहेज करने की सलाह दी है।