राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के निजीकरण के केंद्र सरकार के फैसले के बाद दक्षिण कोरिया की स्टील दिग्गज पोस्को स्टील संयंत्र स्थापित करने के लिए नई जगह की तलाश से लिए प्रोत्साहित हुई है।
सूत्रों ने कहा कि आरआईएनएल के निजीकरण के सरकारी फैसले के बाद पोस्को एक और अवरोध का सामना कर रही थी। उन्होंने कहा, अन्य वैश्विक स्टील निर्माताओं मसलन आर्सेलरमित्तल की तरह पोस्को भी भारत में निवेश की संभावना तलाश रही है, लेकिन इस पर अब तक कोई प्रगति नहीं हुई है। अब आंध्र सरकार ने पोस्को को कृष्णापत्तनम में संयंत्र लगाने के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन कंपनी ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्रों ने कहा, पोस्को अन्य जगह पर भी नजर डाल रही है।
करीब 16 वर्षों से पोस्को भारत में स्टील संयंत्र लगाने की कोशिश कर रही है। कंपनी ने ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में 1.2 करोड़ टन का संयंत्र लगाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन जमीन अधिग्रहण नहीं हो पाया और खनन नीति में बदलाव से कंपनी की योजना पटरी से उतर गई। पिछले साल हालांकि पोस्को ने की योजना कुछ आगे बढ़ी थी क्योंकि आरआईएनएल के साथ उसकी जमीन पर निवेश पर बातचीत हुई थी। लेकिन आरआईएनएल के निजीकरण के फैसले से फिर संकट खड़ा हो गया।
3 फरवरी को दीपम के सचिव ने ट्वीट किया था कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 27 जनवरी को निजीकरण के जरिए प्रबंधन नियंत्रण के साथ आरआईएनएल के 100 फीसदी रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी।
कर्मचारी यूनियन हालांकि आरआईएनएल के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इस फैसले पर दोबारा विचार के लिए कहा है।
फरवरी में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर आरआईएनएल विशाखापत्तनम की विनिवेश योजना पर दोबारा विचार का अनुरोध किया था और इस संयंत्र को पटरी पर लाने के लिए अन्य संभावना तलाशने की मांग की थी। इन सुझावों में कैप्टिव खदान का आवंटन और वित्तीय पुनर्गठन शामिल है।
हालांकि आरआईएनएल के सूत्रों ने संकेत दिया कि निजीकरण की योजना पटरी पर है। पोस्को के लिए इसका मतलब यह है कि उसे स्टील संयंत्र लगाने के लिए इंतजार करना होगा। पहले चरण में पोस्को की योजना 40 लाख टन क्षमता वाला संयंत्र लगाने की थी।
