दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) के अधिग्रहण की दौड़ ने दिलचस्प मोड़ ले लिया है। पीरामल एंटरप्राइजेज ने डीएचएफएल के रिटेल पोर्टफोलियो के लिए अपनी बोली बढ़ाकर करीब 25,000 करोड़ रुपये कर दी है, वहीं अदाणी समूह ने थोक एवं झुग्गी पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) पोर्टफोलियो के लिए 3,000 करोड़ रुपये की नई बोली लगाई है। इस तरह से देखें तो पीरामल और अदाणी की संयुक्त बोलियां अमेरिकी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी ओकट्री की 31,000 करोड़ रुपये की संशोधित पेशकश के लगभग बराबर है। ओकट्री ने पहले डीएचएफएल के समूचे कारोबार के लिए 27,800 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। पीरामल और ओकट्री दोनों की बोलियों में डीएचएफएल के खातों में वर्तमान में पड़े 12,000 करोड़ रुपये को भी शामिल किया है, जिससे ऋणदाताओं को भुगतान किया जाएगा।
पीरामल और ओकट्री ने अगले सात साल तक ब्याज सहित ऋणदाताओं को भुगतान करने की बात कही है। पीरामल ने पहले रिटेल खातों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। नई पेशकश में पीरामल ने डीएचएफएल की नकदी से भुगतान करने के साथ ही ब्याज सहित कर्ज का भुगतान करने की बात कही गई है। पीरामल और ओकट्री ने बैंकों को 6.5 फीसदी ब्याज के साथ बकाया भुगतान करने की पेशकश की है, जो सात साल में करीब 3,000 करोड़ रुपये होगा। सूत्रों ने कहा कि पीरामल की 25,000 करोड़ रुपये की पेशकश में डीएचएफएल की नकदी और सात साल में 3,000 करोड़ रुपये का ब्याज भुगतान भी शामिल है।
घटनाक्रम के जानकार एक बैंकर ने कहा, ‘पीरामल-अदाणी की संयुक्त बोली ज्यादा भरोसेमंद लगती है क्योंकि दोनों घरेलू कंपनियां हैं और उनका पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है।’ इन दोनों ने ओकट्री के लगभग बराबर की बोली लगाई है।’ डीएचएफएल का रिटेल बुक करीब 33,000 करोड़ रुपये का है जो पीरामल एंटरप्राइजेज के कॉर्पोरेट बुक के लिए पूरक का काम करेगी।
अदाणी समूह ने केवल थोक पोर्टफोलियो और एसआरए के लिए बोली लगाई है और अपनी बोली को 2,250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3,000 करोड़ रुपये कर दिया है। अदाणी ने रियल एस्टेट क्षेत्र में नरमी को देखते हुए कम बोली लगाई है।
बैंकरों का कहना है कि ओकट्री ने अग्रिम के तौर पर 1,000 करोड़ देने की पेशकश की है। सूत्रों ने कहा कि ओकट्री की बोली में कई शर्तें हैं, जिनमें सरकार से मंजूरी देने की बात कही गई है नहीं तो पेशकश वापस ले ली जाएगी। डीएचएफएल का जीवन बीमा कारोबार में भी संयुक्त उपक्रम है और अगर ओकट्री डीएचएफएल का अधिग्रहण करती है तो बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों का उल्लंघन होगा और संभवत: उसे बीमा नियामक से मंजूरी नहीं मिलेगी।
पीरामल, अदाणी और एसी लॉरी से इतर ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए बोली लगाई है जबकि अन्य कंपनियां किसी खास पोर्टफोलियो को लेने के लिए इच्छुक हैं। डीएचएफएल के ऋणदाताओं की समिति की अगले हफ्ते बैठक होगी जिसमें सभी बोलीदाताओं की संशोधित बोलियों पर विचार किया जाएगा।
इस बारे में जानकारी के लिए ओकट्री कैपिटल और पीरामल एंटरप्राइजेज से संपर्क किया गया लेकिन उनके प्रवक्ताओं ने कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया।
