भारत की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी पैंटालून अपनी सहयोगी रिटेल चेन बिग बाजार और फूड बाजार में अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। साथ ही कंपनी अपने बॉन्ड भी बेचेगी।
पैंटालून के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी की योजना इसके जरिए नकदी का प्रवाह बनाए रखने और उधारी चुकाने की है। पिछले कुछ दिनों से कंपनी का नकदी प्रवाह नकारात्मक बना हुआ है। ऐसे में उसे कर्ज लेना पड़ रहा है।
कंपनी पर अभी 260 करोड़ रुपये के ऐसे ब्रिज लोन हैं, जिन्हें अगले 6 महीने में चुकाना है। इसका कुछ हिस्सा तो 300 करोड़ रुपये के वैसे कर्जे से चुकाया जाएगा, जो मंजूर तो हो चुके हैं पर कंपनी ने उसे उठाया नहीं है। कर्ज के कुछ और हिस्से के लिए कंपनी लघु अवधि के बॉंड भी जारी करेगी।
आंकड़ों के मुताबिक, 30 जून 2008 तक कंपनी पर 2,767 करोड़ रुपये का कर्ज था। अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009 में इसका ब्याज बढ़कर 200 करोड़ रुपये हो जाएगा। कर्ज के बूते कंपनी ने हाल में अपनी कार्यशील पूंजी बढ़ाकर 2,353 करोड़ रुपये कर लिया।
कंपनी के दूसरे अधिकारी ने बताया, ‘पैंटालून के पास नकद प्रवाह बनाए रखने और लघु अवधि का कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त पैसा है। हम लोग फंड जुटाने में भी लगे हुए हैं। हमने लघु अवधि के कई कर्जे चुकाए हैं। इसके अलावा हम लंबी अवधि के कर्ज भी चुकाएंगे।”
हालांकि, पैंटालून रिटेल के प्रबंध निदेशक किशोर बियाणी ने कर्ज को नए सिरे से व्यवस्थित करने की योजना पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। इस समय कंपनी का कर्ज पूंजी अनुपात लगातार बढ़ता ही जा रहा है। वित्त वर्ष 2007 में यह 1.17:1 था, जबकि 2008 में यह बढ़कर 1.21:1 हो गया।
30 जून को समाप्त हो रहे कंपनी के वित्तीय वर्ष में कर्ज पूंजी अनुपात बढ़कर 1.40:1 हो जाने का अनुमान है। जहां तक नकदी प्रवाह की बात है तो वित्त वर्ष 2007-08 में यह 19.2 करोड़ रुपये नकारात्मक था। इसके एक साल पहले यह 271.9 करोड़ रुपये था।
परिचालन क्षमता बढ़ाने के मकसद से कंपनी वेंडरों से बेहतर उधारी शर्तों और कीमतों के बारे में बातचीत कर रही है। इसमें स्टोर में भंडारण कम करने और ग्राहकों को लुभाने वाली नई योजनाएं शुरू करना भी शामिल है। क्षमता बढ़ाने के लिए कंपनी प्रौद्योगिकी में भी निवेश कर रही है।
लंबी अवधि के वित्तीय मसलों को निपटाने के लिए पैंटालून के अधिकारी कई निवेशकों से अपनी सहयोगी बिग बाजार और फूड बाजार की कुछ हिस्सेदारी बेचने के लिए बातचीत कर रहे हैं। ऐसा इसलिए ताकि कंपनी सहयोगी संस्थाओं में 600 करोड़ रुपये का निवेश कर सके।
पैंटालून ने वित्त वर्ष 2009 में अपनी विस्तार योजना को भी 40 लाख वर्ग फुट से घटाकर 25 लाख वर्ग फुट कर दिया है, ताकि कंपनी के पास नकदी बना रहे। एक अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज संस्थान से जुड़े इक्विटी विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी अभी बाहरी पूंजी पर निर्भर हो गई है।
