प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ विवादों के बीच देश में ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने की कवायद हो रही है और एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक सरकार को उम्मीद है कि सितंबर महीने के आखिर तक तेल एवं गैस क्षेत्र में बड़े सुधारों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
इन उपायों से सरकार को अमेरिका जैसे देशों के भू-राजनीतिक दबावों से निपटने में मदद मिलेगी जो जबरदस्ती के तरीकों से तेल की आपूर्ति कम करते हैं या पश्चिम एशिया में सशस्त्र संघर्षों से स्वेज नहर या होर्मुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण रास्तों को बाधित करते हैं, जिनके माध्यम से भारत को अपना अधिकांश तेल और गैस मिलता है।
व्हाइट हाउस के सलाहकार (व्यापार एवं विनिर्माण) पीटर नवारो ने सोमवार को फाइनैंशियल टाइम्स के एक लेख में कहा कि भारत की तेल लॉबी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए युद्ध हथियारों के लिए फंड दे रही हैं जिसे अवश्य रोकना होगा। इस कदम को व्यापक रूप से भारत पर रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए दबाव बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है। नवारो ने कहा, ‘रिफाइनिंग कंपनियों ने भारत को रियायती रूसी कच्चे तेल के लिए एक बड़े रिफाइनिंग केंद्र में बदल दिया है।’
अधिकारी ने दोहराया कि देश की रिफाइनिंग कंपनियां कहां से तेल हासिल करती हैं, इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है क्योंकि ये वाणिज्यिक लेनदेन हैं। उन्होंने कहा कि रूसी तेल पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जैसे कि ईरान या वेनेजुएला पर हैं।
इस उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि नवारो ने जानबूझकर इस बात का जिक्र नहीं किया कि चीन वास्तव में रूसी तेल, गैस और तरलीकृत प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीदार है।
फिनलैंड के एक प्रमुख थिंक टैंक, सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीन एयर के अनुसार, चीन ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के तीसरे वर्ष में 90 अरब डॉलर से अधिक के रूस के जीवाश्म ईंधन खरीदे, जो भारत से 60 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने तुर्किये का भी उल्लेख नहीं किया, जिसने इस अवधि के दौरान रूस से 41 अरब डॉलर के जीवाश्म ईंधन खरीदे।
ये सुधार बायोफ्यूल और घरेलू तेल उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण रूप से फायदेमंद होंगे। कानूनी विशेषज्ञ, हाल ही में संशोधित तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 के तहत मसौदा नियमों की कुछ हफ्तों में जांच पूरी कर लेंगे, जो शेवरॉन, एक्सॉन और टोटल जैसे संभावित प्रतिभागियों पर देश के मौजूदा 10वें ड्रिलिंग दौर में लागू होंगे।
अधिकारी ने कहा कि इथेनॉल-मिश्रित ईंधन पर चल रहा विवाद वास्तव में बायोफ्यूल के उपयोग का विस्तार करने पर सरकार के चल रहे विचार-विमर्श या प्रस्तावों को बाधित नहीं करेगा क्योंकि इथेनॉल से मिलने वाले लाभ जैसे कि स्वच्छ हवा और कम तेल आयात, दूसरे अन्य मामूली मुद्दों से कहीं अधिक हैं।
अधिकारी ने कहा कि एक अंतर-मंत्रालयी समिति सितंबर तक इथेनॉल के मुद्दे पर आगे बढ़ने की सिफारिश करेगी जिसमें फ्लेक्स ईंधन, यानी 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाले वाहनों, या मौजूदा ई20 (पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण) से ई22, ई25 से ई27 तक के चरणों में मिश्रण के प्रतिशत के विस्तार की बात होगी।