सरकारी तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अब एक सप्ताह तक पेट्रोल व डीजल के दाम स्थिर रख सकती हैं। हालांकि मार्च के बाद पहली बार पिछले सप्ताह कच्चे तेल की कीमतें 50 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई हैं। अगर बढ़े दाम का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाला जाता है तो तेल कंपनियों का मुनाफा प्रभावित हो सकता है। बहरहाल तेल विपणन कंपनियां इस बोझ को वहन कर सकती हैं।
पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के मुताबिक सोमवार को मुंबई में पेट्रोल के दाम 90.34 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 80.51 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए। दोनों के दाम पिछले सोमवार से स्थिर थे।
विश्लेषकों का अनुमान है कि कच्चे तेल के दाम में 1 डॉलर प्रति बैरल बढ़ोतरी पर ओएमसी का विपणन लाभ 0.45 रुपये प्रति लीटर कम होता है, अगर इसे खुदरा उपभोक्ताओं पर न डाला जाए। रिलायंस सिक्योरिटीज में वरिष्ठ शोध विश्लेषक योगेश पाटिल ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘अगर आगे कच्चे तेल का दाम 55 डॉलर प्रति बैरल पर जाता है तो ओएमसी को घाटा हो सकता है। पेट्रोलियम व डीजल विपणन का मुनाफा कम होगा, अगर बढ़े दाम को खुदरा ग्राहकों पर नहीं डाला जाता है। तेल के दाम बढऩे से तेल शोधन कंपनियोंं का परिचालन लागत (ईंधन के दाम) भी बढऩे की उम्मीद है।’
देश में ईंधन की मांग नवंबर में सालाना आधार पर 3.6 प्रतिशत घट गई। हालांकि, इससे पिछले महीने अक्टूबर में ईंधन खपत सामान्य स्तर पर पहुंच गई थी, लेकिन नवंबर में यह फिर नीचे आ गई। पेट्रोलियम मंत्रालय के योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ द्वारा प्रकाशित अस्थायी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में पेट्रोलियम उत्पादों की कुल मांग घटकर 1.78 करोड़ टन रह गई।
