देश में दो नए इस्पात संयंत्र स्थापित करने की दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल की योजना में कम से कम 2 साल की देरी हो सकती है।
कंपनी के मुताबिक, सरकार से मंजूरी मिलने में हुई देरी और आर्थिक मंदी इस विलंब की वजह है। लक्ष्मीनिवास मित्तल की यह कंपनी दरअसल उड़ीसा और झारखंड में कुल 2.4 करोड़ टन का इस्पात कारखाना लगा रही है।
इन दोनों संयंत्रों के विकास पर कंपनी 2 से 2.5 अरब डॉलर निवेश कर रही है। आर्सेलर मित्तल के भारतीय उपक्रम के सीईओ विजय कुमार भटनागर के मुताबिक, ”कुछ वजहों से ये दोनों संयंत्र 2014 से पहले शायद ही शुरू हो पाएंगे।”
इन दोनों संयंत्रों के 2012 से काम शुरू करने की संभावना थी। कंपनी के अध्यक्ष लक्ष्मी मित्तल ने पिछले साल सितंबर में ही संकेत दिए थे कि यदि इस परियोजना को सरकार की मंजूरी मिलने में देर हुई तो लागत में करीब आधी वृद्धि हो सकती है। भटनागर ने फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, ”आर्थिक मंदी इन परियोजनाओं के विलंब की सबसे प्रमुख वजह है।
