यह एग्रोकेमिकल कंपनी कोरोमंडल इंटरनैशनल का एक सामान्य दिन था। एक मिलेनियल (जेनरेशन वाई) कार्यकारी और एक 55 वर्षीय वरिष्ठ नीति निर्माता के बीच नियमित बैठक होने वाली थी या ऐसा लग रहा था। वे जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (जेन-एआई) के बारे में बातचीत करने वाले थे।
सामान्यतः किसी भी कंपनी में वरिष्ठ अधिकारी अपने छोटों को रास्ता दिखाता है। मगर एआई के आने और उसे अपनाने के बाद से अब सामान्य समय नहीं रह गया है। इसलिए बैठक के दौरान भूमिकाएं बदल गईं। वरिष्ठ सीखने के लिए बैठे और 29 वर्षीय युवक मेन्टोर यानी मार्गदर्शक की भूमिका में आ गए। जेन एआई के अलावा उन्होंने कंपनी से कर्मचारियों का अधिक जुड़ाव हासिल करने के लिए सोशल मीडिया रणनीतियों पर भी चर्चा की। यह सिर्फ कोरोमंडल का ही मामला नहीं है।
सीमेंस, स्टरलाइट पावर और फिसर्व जैसी कंपनियां भी दफ्तरों में सिखाने के पारंपरिक मॉडल पर पुनर्विचार कर रही हैं। अब कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधन की भूमिका सिर्फ सलाह देने तक सीमित नहीं है बल्कि अब वे सक्रिय तौर पर डिजिटल कौशल और उपभोक्ता रुझानों से भी अद्यतन हो रहे हैं और युवा, डिजिटल ज्ञान रखने वाले कर्मचारी उन्हें मार्गदर्शन देने के लिए आगे आ रहे हैं।
सार्वजनिक उपक्रम भी इस चलन को तेजी से अपना रहे हैं। भारत के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी के डिजिटल अधिकारियों ने कंपनी के खनन कार्यों की मैपिंग करते समय एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग विभाग के युवा कर्मचारियों की ओर रुख किया। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इस सहयोग से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हमारे वरिष्ठ अधिकारियों के लिए एक सहज और व्यावहारिक अनुभव मिला।
हालांकि रिवर्स मेन्टोरिंग बीते कई दशकों से चली आ रही है और इसे पश्चिमी देशों में बड़े पैमाने पर अपनाया गया है। मगर अब भारत में भी इसका मूल्य और दायरा तेजी से बढ़ रहा है। यह प्रवृत्ति तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी और ग्राहक आधार एवं कार्यबल में मिलेनियल्स (प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, साल 1981 से 1996 के बीच जन्म लेने वाले) और जेन जेड (साल 1997 या उसके बाद जन्म लेने वाले) के बढ़ते प्रभाव के कारण हो रही है।
न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध फिनटेक फर्म फिसर्व के इंजीनियरिंग और इनोवेशन हब ग्लोबल सर्विसेज में स्थानीय अधिकारी नियमित रूप से रिवर्स मेन्टोरिंग सत्र का आयोजन करते हैं।
फिसर्व के मुख्य परिचालन अधिकारी और वैश्विक सेवाओं के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विशाल प्रतापवंत ने कहा, ‘इन सत्रों से हमें प्रमुख इंजीनियरिंग रुझानों, डिजिटल परिवर्तनकारी रणनीतियों, एआई उपयोग के मामले और कैसे युवा उपभोक्ता अपनी वित्तीय लेनदेन का प्रबंधन करते हैं, इसकी जानकारी मिलती है। इससे करियर में आगे बढ़ने की आकांक्षाओं, कार्यस्थल के अनुभव और लाभ के आसपास बढ़ती जरूरतों के बारे में भी बहुमूल्य जानकारी भी मिलती है।’
जर्मनी की बहुराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनी की भारतीय इकाई सीमेंस लिमिटेड ने रिवर्स मेन्टोरिंग के लिए एक संरचित नजरिया लागू किया है। इसकी अवधि लचीली है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक लक्ष्यों की पहचान के साथ शुरू होती है। इसके बाद संवाद शुरू करने का सत्र और परामर्श संबंध के औपचारिक पूर्णता के साथ समापन होता है।
सीमेंस लिमिटेड की कार्यकारी उपाध्यक्ष (ईवीपी), कंट्री हेड (पीपल ऐंड ऑर्गेनाइजेशन) और डायवर्सिटी अधिकारी शिल्पा काबरा माहेश्वरी कहती हैं कि ऐसे कई मामले हैं जहां 25 वर्ष से अधिक अनुभव वाले सीमेंस के कर्मचारियों के पास 20 से 25 साल की उम्र वाले रिवर्स मेन्टोर होते हैं।