पेट्रोल मॉडलों की व्यापक शृंखला, आर्थिक मंदी के कारण प्रवेश स्तर के वाहनों की अधिक मांग और ग्रामीण बाजारों में बेहतर पहुंच के कारण कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी इंडिया को बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिली। अक्टूबर के बिक्री आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है। हालांकि कंपनी को प्रीमियम वाहन श्रेणी में, विशेष तौर पर मझोले आकार के वाहन और यूटिलिटी व्हीकल श्रेणियों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
अक्टूबर में बिकने वाले शीर्ष 10 मॉडलों में से सात मारुति के थे। महीने के दौरान कंपनी ने 1,66,825 वाहनों की बिक्री की जो उसके इतिहास की सर्वाधिक बिक्री है। इससे खुदरा बाजार में उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 51.1 फीसदी हो गई जो सितंबर में 49 फीसदी थी। अक्टूबर सभी वाहन विनिर्माताओं के लिए काफी लंबे समय के बाद सबसे अच्छा महीना रहा। वाहन उद्योग कोरोनावायरस वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधान और कमजोर बिक्री की दोहरी मार झेल रहा था।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक (विपणन और बिक्री) शशांक श्रीवास्तव ने कहा, ‘संकट के दौर में लोग लोकप्रिय एवं भरोसेमंद ब्रांड को पसंद करते हैं और यह मारुति के लिए सकारात्मक रहा। इसके अलावा, डीजल और पेट्रोल की कीमत में अंतर कम होने के साथ ग्राहकों का रुख पेट्रोल मॉडल की ओर था। इससे मारुति को काफी फायदा हुआ क्योंकि कंपनी पेट्रोल मॉडल मॉडलों की व्यापक शृंखला है।’
श्रीवास्तव ने कहा, ‘पेट्रोल वाहन के लिए मांग में भारी बदलाव दिखा।’ उन्होंने कहा कि अक्टूबर में डीजल वाहनों की बिक्री सबसे कम हुई जो पिछले साल की 29.5 फीसदी के मुकाबले घटकर 17 फीसदी रह गई। उन्होंने कहा कि कुल पेट्रोल वाहन बाजार में मारुति की बाजार हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी है। बीएस6 उत्सर्जन मानदंड के लागू होने के कारण डीजल कार की कीमतों में वृद्धि होने के कारण भी ग्राहकों का झुकाव पेट्रोल मॉडलों की ओर रहा। उदाहरण के लिए, हैचबैक श्रेणी में डीजल की हिस्सेदारी बमुश्किल 0.3 फीसदी रही।
श्रीवास्तव ने कहा कि यह चलन अब एसयूवी श्रेणी में दिख रहा है। डीजल वेरिएंट में तगड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद ऐसा दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम केवल एकमात्र पेटोल वेरिएंट ब्रेजा की बिक्री कर रहे हैं।’