सज्जन जिंदल के स्वामित्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील नए बॉन्ड बेचकर वैश्विक तथा स्थानीय निवेशकों, दोनों से करीब 1 अरब डॉलर की पूंजी जुटा रही है। जहां लगभग 50 करोड़ डॉलर विदेशी निवेशकों से जुटाए जाएंगे, वहीं कंपनी 54 करोड़ डॉलर स्थानीय निवेशकों से जुटाएगी। एक अधिकारी ने कहा कि कंपनी विदेशी बॉन्ड निर्गम के प्रबंधन के लिए डॉयचे बैंक, सिटीबैंक, स्टैंडर्ड बैंक और क्रेडिट सुइस को नियुक्त किया है।
जेएसडब्ल्यू स्टील इस रकम का इस्तेमाल अपने पुराने कर्ज को चुकाने तथा अन्य सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करेगी। कंपनी ने 19,700 करोड़ रुपये में भूषण पावर ऐंड स्टील अधिग्रहण के लिए भी सहमति जताई है और इस अधिग्रहण के लिए कोष तैयार रखा है। लेकिन उसे पूर्व प्रवर्तकों और प्रवर्तन निदेशालय से कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।
वैश्विक स्रोतों से कोष जुटाने वाली प्रमुख भारतीय कंपनियों में वेदांत, रिलायंस इंडस्ट्रीज और ओएनजीसी विदेश शामिल हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े एक बैंकर ने कहा, ‘जेएसडब्ल्यू ने अपने पुराने ऋण चुकाने के लिए पिछले साल सितंबर में विदेशों से करीब 40 करोड़ डॉलर जुटाए थे।’
भूषण पावर के अलावा, जेएसडब्ल्यू स्टील भी 1,550 करोड़ रुपये में एशियन कलर कोटेड इस्पात अधिग्रहण की दौड़ में है। लेकिन एसीसीआईएल के अध्रिहण से अमेरिका स्थित फंड इंटरप्स (बैंकों के लिए ऊंची बोली से संबंधित) के साथ कानूनी टकराव को भी बढ़ावा मिला है।
जेएसडब्ल्यू आईबीसी प्रक्रिया के तहत वर्ष 2018 में 2,875 करोड़ रुपये में मोनेट इस्पात का अधिग्रहण पहले ही कर चुकी है। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष में अपना पूंजीगत खर्च करीब आधा घटाकर 9,000 करोड़ रुपये करने का भी निर्णय लिया है।
विश्लेषकों के अनुसार मौजूदा पूंजीगत खर्च की वजह से ऋण स्तर एक और वर्ष तक ऊंचे स्तरों पर बना रह सकता है। केयर रेटिंग ने एक बयान में कहा है कि डोल्वी में 50 लाख टन सालाना की क्षमता चालू होने से मुनाफे और नकदी प्रवाह में सुधार आने की संभावना है, जिससे वित्त वर्ष 2022 से ऋण कवरेज अनुपात में सुधार आ सकता है।
कंपनी ने शुरू में वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2023 के बीच 48,515 करोड़ रुपये की पूंजीगत खर्च योजना की घोषणा की थी, जिसमें कंपनी की इस्पात निर्माण क्षमता 33 प्रतिशत तक बढ़ाकर 24 एमटीपीए और डाउनस्ट्रीम क्षमता 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजनाएं शामिल थीं। वित्त वर्ष 2020 में पूंजीगत खर्च के लिए कंपनी का वास्तविक खर्च 10,200 करोड़ रुपये था, जबकि शुरू में वित्त वर्ष 2020 के लिए 15,708 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई गई थी। इसके साथ, कंपनी ने वित्त वर्ष 2018-वित्त वर्ष 2020 के दौरान 23,928 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च किया। हालांकि कोविड-19 महामारी की वजह से परियोजना की गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं और उसने अब वित्त वर्ष 2021 के लिए अपने अनुमानित पूंजीगत खर्च को 16,340 करोड़ रुपये से घटाकर 8,200 करोड़ रुपये कर दिया है।
