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व्हाट्सऐप को चुनौती का अधिकार नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:03 AM IST

सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आज एक हलफनामा दायर कर कहा कि व्हाट्सऐप विदेशी कंपनी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का दावा नहीं कर सकती। वह अदालत के फैसले या भारतीय कानून की संवैधानिकता को चुनौती भी नहीं दे सकती। हलफनामे में कहा गया है कि व्हाट्सऐप भारतीय कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दी सकती क्योंकि वह विदेशी इकाई है और उसके कारोबार का संचालन भारत से नहीं होता है।

व्हाट्सऐप ने इस साल मई में भारत सरकार के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया था और भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थता दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया नैतिक संहिता) नियमों, 2021 के संदेश के उद्गम का पता लगाने वाले प्रावधान पर रोक लगाने की मांग की थी। इस प्रावधान के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को आवश्यकता पडऩे पर 50 लाख से ज्यादा उपयोगकर्ताओं के बीच पता लगाना होगा कि संबंधित संदेश पहली बार कहां तैयार किया गया था। सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के माध्यम से यह हलफनामा दाखिल किया है। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी हलफनामा देखा है, जिसमें कहा गया है कि कोई विदेशी व्यावसायिक इकाई अनुच्छेद 19 के तहत अधिकारों के उल्लंघन का हवाला देकर कानून के प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती नहीं दे सकती। मामला अदालत में विचारधीन है इसलिए व्हाट्सऐप ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की।

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा, ‘यह तकनीकी तर्क है जिस पर शायद अदालत सहमत न हो। हालांकि सभी मौलिक अधिकार विदेशियों और खास तौर पर कंपनी को उपलब्ध नहीं हैं। साथ ही भारतीय कंपनियों को भी सभी मौलिक अधिकार उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि मुझे नहीं लगता कि निजता और उपयोगकर्ता का पता लगाने के मामले में अदालत इस तर्क को गंभीरता से लेगी।’

सरकार के हलफनामे में यह भी कहा गया है कि इस मामले के तथ्यों में प्रतिनिधि कार्रवाई का सिद्घांत लागू नहीं होता है क्योंकि संविधान के भाग तीन में किसी गुमनाम को मौलिक अधिकार नहीं दिए गए हैं। लॉ फर्म टेकलेजिस में पार्टनर सलमान वारिस ने कहा, ‘संविधान के भाग तीन में किसी गुमनाम को मौलिक अधिकार नहीं हैं का मसला विवादास्पद है क्योंकि यह निजता से जुड़ा है जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में मौलिक अधिकार करार दिया है।’ व्हाट्सऐप के प्रवक्ता ने मई में बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘मैसेजिंग ऐप के लिए चैट के मूल का पता लगाना उसी तरह है कि जैसे यह कहना कि व्हाट्सऐप पर भेजे जाने वाले हरेक संदेश का फिंगरप्रिंट संभालकर रखना होगा। इससे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की कड़ी टूटेगी और लोगों के निजता के मौलिक अधिकार का हनन होगा।’ भारत व्हाट्सऐप के लिए सबसे बड़ा बाजार है, जहां उसके 40 करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ता हैं।

First Published : October 22, 2021 | 11:29 PM IST