चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रवासी डिजिटल कंपनियों जैसे गूगल, नेटफ्लिक्स और एमेजॉन पर लगने वाले विवादास्पद 2 प्रतिशत गूगल कर से कमाई करीब चार गुना बढ़ गई है। यह ऐसे समय हुआ है, जब भारत ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) में वैश्विक कर समझौते के प्रस्ताव पर सहमत हो गया है, जिसके लिए भारत को 2023 तक इक्वलाइजेशन लेवी वापस लेना होगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड को मिले आंकड़ों से पता चलता है कि इस लेवी से संग्रह या कथित गूगल कर से कमाई वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 260 प्रतिशत बढ़कर 778 करोड़ रुपये हो गई है, जो पिछले साल की समान तिमाही में 216 करोड़ रुपये थी।
भारत के आईटी केंद्र बेंगलूरु से कर बहुत तेजी से बढ़ा है, जो कुल संग्रह का करीब आधा 350 करोड़ रुपये है, जहां कर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 280 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है।
इसके बाद हैदराबाद का स्थान है, जहां पिछले साल के 92 करोड़ रुपये की तुलना में कर 147 प्रतिशत बढ़कर 227 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं दिल्ली मेंं 1,064 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जहां पिछले साल के 11 करोड़ रुपये से बढ़कर इस साल गूगल कर 128 करोड़ रुपये हो गया है। मुंबई में गूगल कर संग्रह 48 करोड़ रुपये रहा है,जो पिछले साल की समान तिमाही में 14 करोड़ रुपये था।
इक्वलाइजेशन लेवी के दायरे में आने वाली संभावित कंपनियों में एडोब, उबर, उडेमी, जूम.यूएस, एक्सपेडिया, अलीबाबा, आइकिया, लिंक्डइन, स्पॉटीफाई और ई-बे शामिल हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पिछले साल कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने समयसीमा का अनुपालन नहीं किया था क्योंकि अंतिम तिथि के महज 3 दिन पहले भुगतान में संशोधन आया था।