Categories: आईटी

दूरसंचार उपकरणों के ठेके पर फर्मों में ठनी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 12:36 AM IST

देसी दूरसंचार कंपनियां और वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माता दूरसंचार विभाग की एक अधिसूचना पर आमने-सामने आ गई हैं। दोनों के बीच तकरार की मुख्य वजह वे पात्रता शर्तें हैं, जो सरकारी ठेकों के लिए निविदा में शिकरत करने वास्ते तय की गई हैं। घरेलू दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों का कहना है कि अगस्त के अंत में दूरसंचार विभाग द्वारा जारी स्थानीय मूल्य संवद्र्धन गणना की विधि उनके हितों के खिलाफ जाती है। इन कंपनियों का यह भी कहना है कि दूरसंचार विभाग की यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की मूल भावना के भी खिलाफ है। दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं के विरोध को देखते हुए विभाग ने अगस्त में जारी अपनी अधिसूचना फिलहाल निलंबित कर दी है।
31 अगस्त को जारी एक अधिसूचना में विभाग ने कहा था कि विदेश से आयातित कल-पुर्जों और उपकरणों से भारत में तैयार प्रिंटेड सर्किट बोर्ड स्वदेश में तैयार सामग्री मानी जाएगी। विभाग ने ‘मेक इन इंडिया’ उत्पाद नीति के लिए मूल्य वद्र्धन की गणना के लिए यह अधिसूचना जारी की थी। विभाग ने यह भी कहा था कि भारत में सेमीकंडक्टर फैब उपलब्ध होने के बाद इस नीति की समीक्षा की जाएगी।
मगर स्थानीय दूरसंचार उपकरण विनिर्माता कंपनियों ने इस अधिसूचना का विरोध किया था। भारतीय दूरसंचार उपकरण विनिर्माण संघ (टेमा) ने 3 सितंबर को संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई थी। पत्र में टेमा ने कहा कि अगस्त में जारी दूरसंचार विभाग का आदेश सितंबर 2020 की डीपीआईआईटी नीति का उल्लंघन करता है। डीपीआईआईटी नीति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सरकार को उपकरणों की आपूर्ति करने वाले द्वितीय श्रेणी के आपूर्तिकर्ताओ के पास कम से कम 20 प्रतिश घरेलू सामग्री होनी चाहिए। पहली श्रेणी के आपूर्तिकर्ताओं के  लिए न्यूनतम घरेलू सामग्री की सीमा 50 प्रतिशत रखी गई है। टेमा ने अपने पत्र में कहा, ‘दूरसंचार विभाग के आदेश के  अनुसार कंपनियों को उपकरणों में एक भी स्वदेशी सामान लगाने की जरू रत नहीं रह जाएगी। यह नीति घरेलू उद्योग और आत्मनिर्भर भारत की मूल भावना के बिल्कुल खिलाफ जाती है।’
टेमा ने यह भी कहा कि फैब संयंत्र से संबंधित नीति की समीक्षा कर विभाग ने अगले कई साल तक 100 प्रतिशत आयात की भी इजाजत दे दी है। टेमा ने कहा कि इससे उलझन इसलिए और बढ़ गई है कि फिलहाल यह तय नहीं है कि देश में फैब संयंत्र कब आएगा।
उसने कहा कि अनिश्चित काल तक विदेश से 100 प्रतिशत उपकरणों के आयात की अनुमति दिए जाने से भारतीय कंपनियों तेजस, कोरल और विहान टेलीकॉम आदि का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा। ये कंपनियां कम से कम आयात के साथ घरेलू स्तर पर दूरसंचार उपकरण बन सकती हैं।
मगर वैश्विक दूरसंचार उपकरण विनिर्माताओं का कहना है कि अगर उन्हें भारत में अपने संयंत्रों में 10-15 प्रतिशत से अधिक मूल्य वद्र्धन की इजाजत नहीं दी जाती है तो वे सार्वजनिक खरीद योजना के तहत पात्रता शर्तें पूरी नहीं कर पाएंगी।

First Published : October 1, 2021 | 11:20 PM IST