कई सालों से मॉरिशस के समुद्र तट और मध्य यूरोप की सबसे बड़ी पर्वतमाला स्विस आल्प्स, भारतीय फिल्म निर्माताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहे हैं। भारत से छुट्टी बिताने के लिए आने वालों के लिए यहां की स्थानीय जगहें भी काफी लोकप्रिय हैं। अब घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार भी फिल्म निर्माताओं को भारत में फिल्मों की शूटिंग के लिए प्रोत्साहित करेगी। भारत में फिल्मकारों के लिए शूटिंग आसान बनाने के लिए सरकार एक मॉडल फिल्म सुविधा नीति बनाएगी। राज्यों को शूटिंग के लिए समय पर अनुमति देने के लिए केंद्र फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।
यह सूचना एवं प्रसारण और पर्यटन मंत्रालयों की संयुक्त पहल का एक हिस्सा है। विदेश के मुकाबले भारत में एक फिल्म की शूटिंग की लागत कम है लेकिन फिल्म निर्माता अनुकूल नीतियों और आसानी से अनुमति मिल जाने की वजह से विदेशी स्थानों को शूटिंग के लिए चुनते हैं। देश में 14 राज्यों की अपनी फिल्म सुविधा नीति है जबकि 18 राज्य फिल्म निर्माताओं को इंसेंटिव (प्रोत्साहन) देते हैं। सोमवार को एक उद्योग संगोष्ठी में सचिव (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय) अपूर्व चंद्रा ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य की कुछ नीतियों पर आधारित, मॉडल फिल्म नीति का मसौदा तैयार करने की योजना बना रही है। मॉडल नीति का मसौदा अन्य राज्यों के साथ साझा किया जाएगा ताकि वे भी इसे अपना सकें। उन्होंने कहा, ‘हालांकि प्रोत्साहन महत्वपूर्ण हैं लेकिन शूटिंग में आसानी और मंजूरी भी आसानी से मिलना अधिक जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि 2015 के बाद से ही राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के तहत काम करने वाले फिल्म सुविधा अधिकारी ने 27 देशों के 120 फिल्म निर्माताओं को भारत में शूटिंग की सुविधा दी है।
पर्यटन मंत्रालय में सचिव अरविंद सिंह ने कहा, ‘मंजूरी से संबंधित अधिकांश मुद्दे स्थानीय और राज्य सरकारों के दायरे में हैं। इसके अनुसार ही राज्य सरकारों को उच्चतम स्तर पर फिल्म संवर्धन कार्यालय स्थापित करने पर विचार करने की आवश्यकता है जो विभिन्न विभागों और संस्थानों के साथ समन्वय स्थापित कर सके और समय पर अनुमति देने में मददगार साबित हो सके।’ फिल्म संवर्धन कार्यालय को भी स्थानीय स्तर पर हस्तक्षेप करने और जरूरत पडऩे पर मुद्दों को सुलझाने का अधिकार होना चाहिए। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा पर्यटन मंत्रालय ने फिल्म निर्माताओं और पर्यटन क्षेत्र के बीच तालमेल बनाने और भारतीय और वैश्विक फिल्मकारों के बीच साझेदारी बनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं । वैश्विक पर्यटन बोर्डों ने भी कई पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार करने के लिए भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता का फायदा उठाया है फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए कर छूट और मुफ्त में होटल में ठहरने जैसी लुभावनी पेशकश कर फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित किया है। पहले भी थॉमस कुक जैसी पर्यटन कंपनियों ने फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड को कवर करते हुए बॉलीवुड शूटिंग से प्रेरित यात्राओं का आयोजन किया है।
पर्यटन विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक रुपिंदर बराड़ ने कहा, ‘फिल्म, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा के बाद स्पेन द्वारा जारी वीजा लगभग दोगुना हो गया। इस तरह का असर फिल्मों का पर्यटन पर पड़ता है।’ अब भारत सरकार फिर से इस पर जोर दे रही है और उसे उम्मीद है कि सिनेमा के माध्यम से यहां के प्राकृतिक आकर्षण वाले स्थलों, संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करने का मौका मिल सकेगा। ईवाई और पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री की 2019 की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया था कि भारत 2022 तक 10 लाख फिल्म पर्यटकों के आने की उम्मीद कर सकता है और प्रत्येक पर्यटक 3,000 डॉलर तक खर्च कर सकते हैं।