ताज ब्रांड के होटलों की संचालक इंडियन होटल्स ने मैसूर के 100 वर्ष पुराने ललित महल पैलेस को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। कर्नाटक सरकार के स्वामित्व वाले जंगल लॉजेज ऐंड रिजॉट्र्स (जेएलआर) के चेयरमैन अपन्ना नायक ने कहा कि हालांकि इस बारे में निर्णायक फैसला इस साल नवंबर में इस होटल द्वारा 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाए जाने के बाद ही लिया जाएगा।
ललित महल पैलेस मौजूदा समय में जेएलआर द्वारा संचालित है और दीर्घावधि प्रबंधन अनुबंध के आधार पर इसे सफल बोलीदाताओं को सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘हमने कई होटलचेन के साथ बातचीत की थी और आईएचसीएल ने इस होटल को खरीदने के लिए हमारी सरकार के संपर्क किया है। हम सभी इच्छुक पक्षों से बोलियां आमंत्रित करेंगे और फिर इस होटल को सौंपा जाएगा।’ ललित महल पैलेस का निर्माण तत्कालीन मैसूर राजा कृष्णराजा वादियार द्वारा कराया गया था और इसकी शिल्पकला लंदन में सेंट पॉल के कैथेड्रल से प्रेरित थी। वर्ष 1974 से, इस पैलेस का संचालन भारत सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) द्वारा किया जा रहा था और बाद में 218 में इसे जेएलआर को स्थानांतरित किया गया।
अपन्ना ने कहा कि राज्य सरकार निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ राज्य में पर्यटन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है। जेएलआर पूरे राज्य में 40 रिजॉर्ट का संचालन करती है जिनमें पर्यटकों को 23,000 रुपये प्रति रात्रि से लेकर 1,200 रुपये रात्रि के हिसाब से सेवा मुहैया कराई जाती है। उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में कई समुद्री परिसंपत्तियां हैं जिन्हें निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ विकसित किया जा सकेगा।’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई जंगल लॉज और धार्मिक स्थान भी हैं जहां पर्यटकों को आकर्षित करने की संभावना काफी ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘महामारी के बावजूद, बांदीपुर और कबीनी में हमारे जंगल लॉज में ऑक्यूपेंसी दर तेजी से बढ़ी है और छुट्टियों तथा सप्ताहांत के दौरान यह 100 प्रतिशत पर पहुंच जाती है। अगले कुछ महीनों में, हमें अन्य परिसंपत्तियों में भी पर्यटकों के ठहरने की दर में तेजी आने की संभावना है, क्योंकि टीकाकरण अभियान शुरू हो गया है।’
कर्नाटक कई प्रख्यात समुद्री तटों और मैसूर में सदियों पुराने मंदिरों (चामुंडेश्वरी मंदिर), कोलूर (मूकांबीकाक, कूके सुब्रमाया, काडी मंजूनाथ, श्री मंगलादेवी) के बावजूद गोवा और केरल जैसे पड़ोसी राज्यों की तरह पर्यटकों को ज्यादा संख्या में आकर्षित करने में विफल रहा है।
