एक सफल पात्र संस्थागत नियोजन (क्यूआईपी) और ब्रिटेन की अपनी सहायक इकाई ओकनॉर्थ बैंक में हिस्सेदारी बेचकर 1,894 करोड़ जुटाए जाने के लगभग दो महीने बाद भी इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनैंस के शेयर को बाजार का विश्वास हासिल करना बाकी है। कंपनी का शेयर फिलहाल करीब 144.3 प्रति शेयर मूल्य पर कारोबार कर रहा है जो उसके 206.7 रुपये प्रति शेयर के क्यूआईपी मूल्य के मुकाबले 30 फीसदी कम है। सितंबर में क्यूआईपी जारी करते समय यह उसके बाजार मूल्य के लगभग बराबर था।
भारत की तीसरी सबसे बड़ी आवास वित्त कंपनी ने वर्ष 2021 में अब तक 2,577 करोड़ रुपये की इक्विटी और 2,780 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। इस प्रकार उसका पूंजी पर्याप्तता अनुपात 30 फीसदी पर सूचीबद्ध आवास वित्त कंपनियों में सबसे अधिक है। सितंबर तिमाही में लगभग 4,500 करोड़ रुपये के डेवलपर ऋण खाते के बिकने के साथ ही डेवलपर ऋण खातों की हिस्सेदारी घटकर 18 फीसदी रह गई है। 31 मार्च तक कंपनी के गैर-आवास पोर्टफोलियो में ऋण खाते की हिस्सेदारी 36 फीसदी थी।
बाजार इन कारकों को नजरअंदाज कर रहा है क्योंकि मुनाफा वृद्धि अब भी भ्रमित करने वाली है। इसे समझने के लिए इसके इतिहास पर गौर करना उचित होगा। करीब एक साल पहले लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के साथ प्रस्तावित विलय को नियामक से मंजूरी नहीं मिली थी। उस दौरान इंडियाबुल्स हाउसिंग ने कहा था कि वह अपने कारोबार को अलग तरीके से पेश करेगी। इसी क्रम में उसने हल्की परिसंपत्ति वाले मॉडल को अपनाने की योजना बनाई। इसके तहत कुल ऋण का 40 फीसदी हिस्सा बैंकों के पास वापस चला गया, 40 फीसदी को बेच दिया गया और उसके बहीखाते पर महज 20 फीसदी ऋण को बरकरार रखा गया। इसलिए उसकी परिसंपत्ति एक साल के दौरान तैयार कुल ऋण के महज 32 फीसदी तक ही सीमित रहेगी।
हालांकि यह मॉडल इंडियाबुल्स हाउसिंग को शुल्क आय पर केंद्रित फाइनैंसर के रूप में स्थापित करेगा। कंपनी द्वारा निवेशकों को दी गई प्रस्तुति के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 से वित्त वर्ष 2024 में शुद्ध लाभ की सालाना चक्रवृद्धि दर 17 फीसदी रहेगी जबकि उसकी परिसंपत्तियों की वृद्धि 3 फीसदी तक सीमित रहेगी।
