वित्त वर्ष 2008-09 की चौथी तिमाही में अग्रिम कर संग्रह में बढ़ोतरी हुई है। बैंकिंग सेक्टर का योगदान बढ़ने से यह सुधार हुआ है। हालांकि, निर्माण क्षेत्र की स्थिति फिलहाल बेहतर नहीं है।
मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कर संग्रह में योगदान के मामले में भारतीय स्टेट बैंक सबसे ऊपर रहा है। इस दौरान उसने 1,810 करोड़ रुपये का योगदान दिया है। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में एसबीआई ने 1,410 करोड़ रुपये का योगदान दिया था।
भारतीय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 208 के मुताबिक, जिन कंपनियों और व्यक्तियों का सालाना अग्रिम कर 5,000 रुपये या उससे अधिक हो, उसे वित्त वर्ष की चारों तिमाही में अग्रिम कर चुकाना अनिवार्य है। सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पूरे देश के कर संग्रह लक्ष्य में पहले ही कमी कर दी है।
आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुंबई ने पिछले साल के कर संग्रह लक्ष्य को पार कर लिया है। पिछले साल 1.07 लाख करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया था। इस बार यह बढ़कर 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर घटाने के साथ पहले से दिए गए रिटेल, पर्सनल और होम लोनों पर ऊंचे ब्याज दर अब भी बरकरार रहने से बैंकों को लाभ मिला है। इसके अलावा, लोन संबधी आरबीआई के दिशानिर्देर्शों से काफी धन गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) की श्रेणी में आने से बच गए। इससे बैंकों का मुनाफा बढ़ा और कर भी।
किसानों को कर्ज माफी मिलने और अन्य कई तरह के प्रावधानों से बैंकों की हालत में काफी सुधार हुआ है। आईसीआईसीआई बैंक ने पिछले साल की तरह इस बार भी 250 करोड़ रुपये का भुगतान किया, वहीं एचडीएफसी बैंक ने इस बार पहले से ज्यादा यानी 275 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
हालांकि निर्माण क्षेत्र की ओर से संकेत थोड़े कमजोर मिल रहे हैं। विभाग के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स ने इस तिमाही में अब तक कोई कर अदा नहीं किया है।
यही हालत पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल और एचपीसीएल की है। टाटा समूह की कंपनियों में टाटा इंडस्ट्रीज और टाटा संस ने भी अब तक भुगतान नहीं किया है। टाटा पावर ने 43 करोड़ रुपये की जगह 7 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।
